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इस बार चंबल और बुंदेलखंड के वोटरों का मूड महाकोशल-मालवा से अलग

जियो पॉलिटिकल फेंस के आधार पर तैयार रिपोर्ट से सामने आई तस्वीर

पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। मध्यप्रदेश में ‘मिशन 2023’ को जीतने के लिए चुनावी बुखार बढ़ गया है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने लगभग सभी शीर्ष नेताओं को प्रचार अभियान में उतारा है, आप, बसपा और सपा के प्रमुख नेता भी सभाएं ले रहे हैं। बागी और प्रमुख निर्दलीय प्रत्याशी जोर लगा रहे हैं। अब प्रचार के महज पांच दिन बचे हैं। इनके बीच दो दिन दीवाली के हैं। 17 नवम्बर को प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में बंद होगा। प्रदेश की चुनावी तस्वीर पर क्षेत्रवार स्टडी की गई तो यह बात सामने आई कि चंबल- बुंदेलखंड, मालवा, महाकोशल के ‘मतदाताओं का मूड और वोट देने की स्थितियां क्षेत्रवार अलग-अलग हैं।’ कहीं प्रत्याशी का चेहरा सामने है तो कहीं पार्टी। पीपुल्स समाचार ने जियो पॉलिटिकल फेंस (भोगौलिक राजनैतिक क्षेत्र) के आधार पर रिपोर्ट तैयार की।

चंबल: बदलाव की लहर , अन्य पार्टियों का प्रभाव भी

मतदाता बोले: श्योपुर में कोचिंग सेंटर चलाने वाले परीक्षित भारती कहते हैं कि युवाओं रोजगार की गारंटी चाहिए। दतिया के शिशुपाल सिंह यादव कहते हैं कि बदलाव भी संभव है।

यहां यह बन रही स्थिति

सबसे ज्यादा चुनौती भाजपा में है, क्योंकि पिछली बार कांग्रेस के कई विधायकों के भाजपा में आने से प्रत्याशी कांग्रेस के हैं। अजा यहां निर्णायक फेक्टर रहेगा। यानि या तो बसपा प्रत्याशी दूसरे-तीसरे स्थान पर रहेंगे और जीत भी सकते हैं।

विंध्य: भाजपा-कांग्रेस के साथ सपा-आप का दखल

मतदाता बोले: रीवा जिले के ग्राम कांकर के चुन्ना आदिवासी कहते हैं अभी तय नहीं किया। महाराज की चलती है। अनूपपुर के जैतहरी ग्राम गोबरी के गोविंद गोंड भी खुलकर कुछ बताने से बचते रहे।

यहां यह बन रही स्थिति

पूर्वांचल का काफी प्रभाव है। प्रदेश का अकेला एरिया है जहां ब्राम्हण और फिर ठाकुर निर्णायक हैं। ऐसा चंबल को छोड़कर और कहीं नहीं है। दूसरा फेक्टर पटेल, कुर्मी, ओबीसी है, जबकि एसटी वर्ग बाकी जगहों जैसा मुखर नहीं है।

बुंदेलखंड: भाजपा-कांग्रेस के साथ सपा-आप भी

मतदाता बोले: बड़ामलहरा के प्रद्युम्न जैन कहते हैं बाहरी प्रत्याशी से मन ऊब गया है, लेकिन वोट चेहरा देखकर ही देना पड़ेगा। छतरपुर के विक्रम परिहार के अनुसार टक्कर तो भाजपा-कांग्रेस में है। बसपा और आप के खतरे भी हैं। निवाड़ी में सपा का असर दिख रहा है।

चुनावी संघर्ष कई पक्षीय होने की उम्मीद

यहां बसपा, सपा, निर्दलीय, आप के प्रभाव से लड़ाई कई पक्षीय हो सकती है। कई सीटों पर सजातीय और सपरिवारीय लोग खड़े होने से रोचक स्थिति बन रही। बागी प्रत्याशियों और टिकट नहीं मिलने वाले नेताओं की भीतरधात से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मालवा: भाजपा के गढ़ वाले क्षेत्रों में दिख रहीं दरारें

मतदाता बोले: रतलाम के प्रवीण दीक्षित कहते हैं कि विधायक के काम बोल रहे हैं। अन्य सीटों पर कांग्रेस असर डालेगी। धार जिले के नालछा निवासी सुमेर कुलेश कहते हैं कि सुख-दुख में साथ रहने वाले प्रत्याशी को ही वोट करेंगे।

यहां आदिवासी फैक्टर है, एक पार्टी को करता है वोट

मालवा और निमाड़ में भाजपा के लिए दरारें दिख रही हैं। जैसे कि दीपक जोशी, अंतर सिंह दरबार, हर्ष सिंह का प्रभाव। उज्जैन संभाग की तुलना में भाजपा का प्रदर्शन इंदौर संभाग में ज्यादा अच्छा हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में दोनो दल आदिवासियों को साधने में लगे हैं।

महाकोशल: शिवराज और कमलनाथ को चुनौती

नरसिंहपुर की आशा साहू कहती हैं कि लाड़ली बहना योजना अच्छी है। वैसे छिंदवाड़ा, सिवनी में कमलनाथ का असर है। बुदनी से शिवराज सिंह चौहान के मैदान में होने से मध्यभारत के लोग उन्हें सीएम फेस मान रहे हैं। इससे रोचक उलटफेर देखने को नहीं मिल सकते हैं।

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