
राजीव सोनी-भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ को शिथिल करने की तैयारी है। शासकीय कर्मचारियों को तीसरी संतान पैदा करने की छूट मिल सकती है। नेता, पंचायत चुनाव भी लड़ सकेंगे। जनसंख्या नियंत्रण की मंशा से करीब ढाई दशक पहले लागू किए गए इस कानून को संशोधित करने जल्दी ही विधानसभा में विधेयक लाया जा सकता है। कानून में संशोधन के बाद ‘ हम दो- हमारे दो’ का नारा भी बदल जाएगा। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ को रद्द करने की चर्चा चल पड़ी है। मप्र में 26 जनवरी 2001 के बाद से नियम लागू है कि शासकीय कर्मचारियों की यदि तीसरी संतान पैदा होगी तो वह सरकारी नौकरी के लिए अपात्र मान लिया जाएगा।
‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ के चलते प्रदेश में कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। मप्र के साथ ही देश के कुछ और राज्यों में भी इस मुद्दे पर बहस चल पड़ी है। विभागीय व सियासी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में सत्ता और संगठन के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श के बाद नियम में संशोधन करने पर सहमत हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत भी कुछ दिन पहले आबादी संतुलन बिगड़ने और गिरती प्रजनन दर पर चिंता जताते हुए 3 बच्चे पैदा करने की वकालत कर चुके हैं।
बदल गया स्टैंड : आरएसएस पूर्व में जनसंख्या नियंत्रण का पैरोकार रहा है। लेकिन, अचानक उसने भी अपना स्टैंड बदल लिया। भागवत के पहले आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील कर चुके हैं।
इन पर गिरी गाज
भिंड में सीएम राइज स्कूल के अंग्रेजी विषय के टीचर गणेश प्रसाद शर्मा की नियुक्ति 6 माह पूर्व तीसरी संतान के चलते निरस्त कर दी गई। इसी तरह पिछले साल जून में स्कूल शिक्षा विभाग ने रहमत बानो मंसूरी की सेवाएं भी समाप्त कर दीं थीं। अन्य विभागों में भी इस तरह के कई मामले हैं।
आबादी नियंत्रण में कारगर रहा कानून
मप्र में 2001 से लागू यह कानून आबादी नियंत्रण में काफी कारगर साबित हुआ है। राज्य में जब यह नीति बनाई गई उस समय दो से अधिक संतान और बाल विवाह का प्रचलन ज्यादा था। इस वजह से यह कानून बनाया गया जो कारगर भी रहा।
मध्य प्रदेश में वर्तमान में यह है कानून
मध्य प्रदेश में सिविल सेवा की सामान्य शर्तें और नियम 1961 के नियम 6 में 10 मार्च 2000 को संशोधन किया गया था। इसमें स्पष्ट किया गया है कि ‘कोई भी शासकीय कर्मचारी जिसकी दो से अधिक संतानें हैं और जिनमें से किसी एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को अथवा उसके बाद हुआ है, वह किसी भी प्रकार की शासकीय सेवा अथवा शासकीय पद के लिए पात्र नहीं होगा।’
कोई भी कमेंट करने से किया इंकार
मध्य प्रदेश की टू चाइल्ड पॉलिसी संशोधन के संदर्भ जब सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे से पूछा गया तो उन्होंने इस पर कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया।
इन राज्यों में भी लागू है टू-चाइल्ड पॉलिसी
- आंध्र प्रदेश तेलंगाना 1994 से कानून, दो से ज्यादा बच्चे वाले पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते।
- असम 1 जनवरी 2021 से लागू।
- गुजरात पंचायत और निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते।
- ओडिशा शासकीय नौकरी और पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य।
- राजस्थान शासकीय नौकरी और पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकते।
- उत्तराखंड पंचायत चुनाव भी नहीं लड़ सकते।