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नई पीढ़ी में तेजी से बढ़ रहा ‘तांत्रिक’ पूजा का चलन

नेता,अपराधी, व्यापारी या अधिकारी सभी करते हैं पूजन पर विश्वास

चंदू चौबे-जबलपुर। तांत्रिक क्रिया में विश्वास रखने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। पुरानी पीढ़ी का दौर खत्म हो रहा है, लेकिन आश्चर्यजनक ढंग से तांत्रिक पूजा के प्रति गहरी आस्था नई पीढ़ी में दिखाई दे रही है। तांत्रिकों की मानें तो अमावस्या की रात को काली रात का पूजन कराने जबलपुर के लोग न केवल शहर में बल्कि देश के विभिन्न सिद्ध तांत्रिक पीठों में भी जाकर पूजन कराते हैं।

बताया जाता है कि व्यापारी जहां अपने कारोबार की दिक्कतों को खत्म करने के लिए इस विधि का सहारा लेते हैं, वहीं अपराधी कोर्ट-कचहरी और सजा से बचने के लिए सहारा लेते हैं। अधिकारी व नेता उच्च पदों पर जाने और नई पीढ़ी के युवा दुश्मनों का खात्मा करने या फिर प्रेम प्रसंगों में सफलता के लिए तांत्रिक प्रक्रिया की तरफ रुचि दिखाते हैं।

मनोरथ तत्काल पूरा होने की मान्यता के कारण भी नई पीढ़ी इस विधि के प्रति उत्सुक रहती है। पूजन के लिए तांत्रिक से लेकर धाम के चयन की बुकिंग दीपावली से पूर्व ही हो जाती है। तांत्रिक विधि को जानने वालों का कहना है कि अमावस्या की रात को तांत्रिक पूजन से प्रतिद्वंद्वी पर आसानी से विजय मिल जाती है। वहीं रुके हुए कार्य भी शीघ्र पूरा होते हैं। जल्दी सब कुछ पाने की चाह से तांत्रिक विधि से पूजन कराने नई पीढ़ी में ज्यादा ललक रहती है।

इन सिद्धपीठों पर जाते हैं

तांत्रिक पूजन सिद्ध कराने जबलपुर जिले से प्रतिवर्ष तकरीबन 3 से 4 हजार लोग गुपचुप तरीके से देश में प्रसिद्ध सिद्ध स्थल विंध्यवासिनी धाम, कामाख्या धाम, बगलामुखी पीठ, कामरूप कामाख्या में भी पूजन कराने जाते हैं। जिले में तांत्रिक पूजा कराने वालों की संख्या 10 हजार के पार बताई जा रही है। जिले के श्मशान घाटों, बगलामुखी मंदिर, त्रिपुर सुंदरी, बाजनामठ में तांत्रिक पूजा होती है।

पुरानी पीढ़ी के बजाय अब नई पीढ़ी तांत्रिक पूजा की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है। कोर्टक चहरी की झंझट से मुक्ति के लिए भी पूजन का सहारा लिया जाता है। -जागेश्वर दुबे, पुजारी कामाख्या धाम

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