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छिंदवाड़ा में भाजपा और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर

लोकसभा क्षेत्र का विश्लेषण : भाजपा ने बदले सियासी समीकरण, नाथ के दुर्ग में सेंधमारी की तैयारी

राजीव सोनी/भोपाल। मध्यप्रदेश की हाईप्रोफाइल और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की पारंपरिक सीट छिंदवाड़ा में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है वहीं भाजपा ने यहां विजय पताका फहराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। नाथ के सियासी दुर्ग में सेंधमारी के लिए भाजपा ने उनके करीबियों को तोड़ना शुरू कर दिया है। कमलनाथ के करीबी महापौर, विधायक के साथ पूर्व मंत्री पाला बदल चुके हैं। 1977 की जनता लहर से लेकर 2019 की मोदी लहर में भी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ बनी रही। हालांकि 1997 के उपचुनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा यहां से चुनाव जीते थे। पूर्व मुख्यमंत्री नाथ छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद रह चुके हैं। उनके बेटे सांसद नकुल नाथ का यह दूसरा चुनाव है। इस बार उन्हें भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू से कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ने मिशन-29 के तहत छिंदवाड़ा में ऐसी घेराबंदी की है जिसमें कांग्रेस को बिखरते कुनबे को संभालने के साथ मैदानी चुनौतियां भी हैं। 2019 में चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने कमलनाथ के पुत्र नकुल को चुनाव लड़ाया जिसमें जीत का अंतर घटकर मात्र 37 हजार पर सिमट गया था। हालांकि विधानसभा चुनाव 2023 में लोकसभा की सातों सीट कांग्रेस ने जीतकर यह लीड करीब 96 हजार पर पहुंचा दी।

छिंदवाड़ा के लिए मैंने अपनी जवानी समर्पित कर दी। अंतिम सांस तक क्षेत्र की सेवा करता रहूंगा। मैंने अपने 45 साल के राजनीतिक जीवन में छिंदवाड़ा के लिए क्या किया है उसकी गवाह यहां जनता है। छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में कई पीढ़ियों से मेरे पारिवारिक रिश्ते हैं। मुझे विश्वास है जनता सच्चाई का साथ देगी। – कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री

भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू पूरे क्षेत्र में घूम चुके हैं। क्षेत्रीय विकास के लिए भाजपा को पब्लिक का समर्थन मिल रहा। इस बार परंपरा टूटेगी और कमल खिलेगा। -विक्रम अहाके,महापौर छिंदवाड

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