
काहिरा। पिछले 90 सालों से मिस्त्र की जिस चीखती हुई महिला की चौका देने वाली ममी ने विशेषज्ञों को अचंभित कर रखा था, उसका राज अब सामने आया है। 1935 में सामने आई 48 वर्षीय महिला की इस ममी का जब वर्चुअल पोस्टमार्टम किया गया, तब पता चला कि महिला साढ़े 3 हजार साल पहले किसी पीड़ा या दर्द से चीखते हुए मरी थी।
ममी को दिया गया था चीखती हुई महिला का नाम
1935 में मिली ममी सालों से मिस्त्र के विशेषज्ञों के लिए अजूबा बनी हुई थी। ममी में चीखती हुई महिला की चौका देने वाले एक्सप्रेशंस थे। विशेषज्ञों ने रहस्य से पर्दा उठाते हुए बताया कि मौत के समय महिला किसी भयानह और दुर्लभ घटना का का शिकार हुई थी, जिसके अनुभव से उसके चेहरे पर इस तरह का भाव आया। इसी स्थिति में रोते हुए उसकी मौत हो गई थी। इस भयानक एक्सप्रेशन के कारण विशेषज्ञों ने इस ममी को चीखती हुई ममी का नाम दिया था। मरते समय उसकी मांसपेशिया उसी स्थिति में यथा रूप अकड़कर जम गईं और उसकी यह पीड़ा अमर हो गई।
सीटी स्कैन से खुला ममी का राज़
ममी मिलने के बाद 1935 में जब सीटी स्कैन के माध्यम से 48 वर्षीय महिला की इस ममी का वर्चुअल अनालिसिस किया गया तो कुछ नई चीजें सामने आईं। इससे पहलेल यह धारणाल थी कि उसके दर्द भरे चेहरे का कारण खराब शव संरक्षण था। काहिरा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सहर सलीम का कहना हैं कि ममी के चेहरे के भाव ऐंठन के रूप में हैं। ऐसा लगता है कि महिला साढ़े 3 हजार साल पहले किसी पीड़ा या दर्द से चीखते हुए मरी थी। उसके मरने का कारण हिंसक भी हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक, महिला को रीढ़ की हड्डी में गठिया रोग था। प्रोफेसर सहर के मुताबिक ममी के सिर पर विग था, जिसे कलर किया गया था।
पारंपरिक रूप से नहीं बनी थी ममी
प्राचीन मिस्र में शव को संरक्षित करने वाले लोग मृत शरीर की देखभाल करते थे। जिससे वे मृत्यु के बाद सुंदर दिखे। इसे ममी कहा जाता था। इसमें मृत्यु के बाद शव के मुंह करने के लिए जबड़े को सिर से बांधकर रखा जाता था, लेकिन इस ममी के साथ यह भी नहीं किया गया। हालांकि पारंपरिक रूप से ममी को संरक्षित करने में जिन वस्तुओं को प्रयोग होता था, वह इस ममी में भी पाया गया था।
सामान्य ममीकरण प्रथाओं के विपरीत, महिला के दिल को छोड़कर आंतरिक अंगों को नहीं हटाया गया था। इसकी कोई खास वजह हो सकती है।
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