
हर्षित चौरसिया-जबलपुर। नेशनल पार्कों में बाघ सहित वन्यप्राणियों के रेस्क्यू, पेट्रोलिंग और अन्य काम में अहम भूमिका निभाने वाले हाथियों की सेहत को बनाने और बिगाड़ने वाले बैक्टीरिया की खोज के लिए प्रदेश की वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक उनके दांत पर रिसर्च करेंगे। वीयू के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ के एसो. प्रो. एवं परियोजना अन्वेषक डॉ. सोमेश सिंह ने बताया कि प्राथमिक तौर पर अध्ययन में हाथियों के दांतों में प्लाक, टारटर, क्रैक, टस्क (दांत) फ्रैक्चर, एकल टस्क, बैक्टीरिया एवं फंगल इन्फेक्शन के कारण पस आने के कारण वे भोजन नहीं करते हैं।
इस प्रकार भोजन नहीं करने से हाथी कमजोर हो जाते हैं, जिससे बुखार सहित अन्य बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसे देखते हुए एशियाई हाथियों में दंत रोगों के प्रबंधन के लिए, सूक्ष्मजीव विविधता, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और हेमेटोजै व रसायनिक घटकों पर अध्ययन के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर शासन के पास स्वीकृति के लिए भेजा है। डॉ. सोमेश के मुताबिक एशियाई हाथियों के दांतों के बैक्टीरिया की प्रोफाइलिंग के लिए यह पहली रिसर्च है जो शुरू होने जा रही है।
चार चरणों में होगा काम
शोधार्थी डॉ. बबीता सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट पर चार चरणों में काम किया जाएगा। पहले चरण में हाथियों के दांतों की विभिन्न समस्याओं का पता करेंगे। दूसरे चरण में दांतों से स्वैब सैंपल लेकर बैक्टीरिया और सूक्ष्म जीवों की जानकारी एकत्रित की जाएगी। तीसरे चरण में इन सूक्ष्मजीवों पर विभिन्न एंटीबायोटिक्स का प्रभाव या प्रतिरोधकता और चौथे चरण में दांतों के रोगों से रक्त और सीरम प्रोफाइल में आने वाले अंतर का अध्ययन किया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर हाथियों के हेल्थ मैनेजमेंट के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एस.ओ.पी.) विकसित की जाएगी।
क्यों बनाया गया प्रोजेक्ट
डॉ. सोमेश ने बताया कि पालतू हाथियों की सेहत उनके दांतों पर निर्भर है। इसलिए यह प्रोजेक्ट बनाया है कि कौन सी बीमारियां हैं एवं उनको उत्पन्न करने वाले कारक यथा सूक्ष्मजीव, प्रबंधन में सुधार इत्यादि। जिससे हाथी स्वस्थ होकर लंबा जीवन जी सकें।
फैक्ट फाइल
- तीन साल चलेगा प्रोजेक्ट
- 35 लाख 11 हजार रुपए का बजट वन विभाग से मांगा
- हाथी के 4 मोलार दांत होते हैं जो जीवनकाल में 6 बार आते हैं।
- दांतों का पहला सेट 3-4 माह की उम्र में आता है।
- औसत उम्र 60 वर्ष होती है।
शासन को भेजा प्रोजेक्टप्रोजेक्ट शासन के पास भेजा गया है। स्वीकृति आने के बाद इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। -डॉ. शोभा जावरे डायरेक्टर एसडब्ल्यूएफएच वीयू जबलपुर।