
इंदौर। शहर की मूक बधिर संस्था में एक मूक बधिर महिला ने अपना वीडियो भेजा। जिसमें वह साइन लैंग्वेज में मदद की गुहार करते हुए उसने अपने डेढ़ वर्ष के मासूम के साथ मौत को गले लगाने की बात कही। लेकिन, वीडियो को देखकर मूक बधिर संस्था के सदस्यों ने तुरंत महिला से बातचीत कर उसे मदद के लिए तुकोगंज थाना के मूक बधिर सेवा संस्थान में बुलाया। महिला पर 20 हजार का दूध का बिल बाकी था। महिला बहुत परेशान थी। वहीं इंदौर कलेक्टर द्वारा महिला की सहायता भी की गई।
क्या है पूरा मामला ?
मूक बधिर संस्था के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि मंगलवार सुबह ममता गढ़वाल (38) महिला का एक वीडियो कॉल आया। जिसमें महिला अपने बच्चे के साथ रेलवे ट्रैक पर जाकर आत्महत्या करने की बात कह रही थी। संस्था द्वारा जब ममता से पूरी जानकारी ली गई तो वह सोच में पड़ गए। महिला का पति उसे छोड़कर बाहर जा चुका है। महिला पर दूध का 20 हजार रुपए का बिल उधार था। वह रुपए नहीं दे पा रही थी और अपने बच्चे के पालन पोषण में उसे दिक्कत आ रही थी। कर्जदार लगातार परेशान कर रहे थे। महिला ने इस बात से परेशान होकर मौत को गले लगाना उचित समझा।
#इंदौर : #मूक_बधिर संस्था में एक मूक-बधिर महिला ने अपना #वीडियो भेजा। साइन लैंग्वेज में मदद की गुहार करते हुए उसने अपने बच्चे के साथ मौत को गले लगाने की बात कही। #कलेक्टर द्वारा तुरंत उसे 5 हजार रुपए की सहायता राशि व प्रतिमाह 600 की सहायता राशि देने के आदेश दिए हैं :… https://t.co/pWxnDrqIPr pic.twitter.com/0ube2urX4A
— Peoples Samachar (@psamachar1) March 14, 2023
ज्ञानेंद्र पुरोहित द्वारा उसे थाना क्षेत्र में मुख्य जीरो के लिए खोले गए थाने पर बुलाया गया और समझा इसके बाद उसे इंदौर कलेक्टर के समक्ष भी ले जाया गया। जहां पर कलेक्टर अभय बेडेकर द्वारा तुरंत उसे 5 हजार रुपए की सहायता राशि व प्रतिमाह 600 रुपए की सहायता राशि देने के आदेश दिए गए।
महिला ने मंगलसूत्र रखा था गिरवी
ममता ने बताया कि डेढ़ वर्ष पहले उसने एक बेटे को जन्म दिया था। बच्चा ऑपरेशन से पैदा हुआ, अस्पताल का बिल 30 हजार रुपए का था, जिसके लिए ममता ने अपना मंगलसूत्र तक गिरवी रख दिया था। मंगलसूत्र तो वह अब तक नहीं छोड़ा पाई, लेकिन उस पर दूध का कर्ज इतना अधिक हो गया कि वह आगे क्या कदम उठाए उसे समझ नहीं आया। इसके बाद उसने ज्ञानेंद्र पुरोहित की संस्था को यह वीडियो भेजकर पूरी जानकारी दी। कलेक्टर द्वारा दी गई सहायता के बाद ममता अभी अपने द्वारकापुरी स्थित निवास पर है। उसे अन्य संस्थाओं से भी मदद मिलने की उम्मीद है।
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