
हर्षित चौरसिया-जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर के भंवरताल पार्क स्थित मौलश्री वृक्ष के तले आचार्य श्री रजनीश (ओशो) को संबोधि की परम उपलब्धि हुई थी। वह वृक्ष 1987 में सूखने लगा था। यह खबर जब विदेशों में उनके अनुयायियों तक पहुंची तो वे इसे संरक्षित करने के लिए जबलपुर आए। प्रत्यक्षदर्शी निगम के उद्यान विभाग के कर्मचारी ओमप्रकाश दुबे ने बताया कि 1987 में मौलश्री वृक्ष अचानक सूखने लगा था। इस खबर के बाद स्विट्जरलैंड, अमेरिका व बेल्जियम से उनके अनुयायी जबलपुर आए।
25-25 फीट की गहरी नींव बनाई और किया उपचार
दुबे ने बताया कि अनुयायियों (जो कि प्लांट एक्सपर्ट भी थे) ने वृक्ष के चारों तरफ 25-25 फीट गहरी करीब 40 नींव बनाई। इसमें रेत के साथ खाद और अन्य सामग्री डाली गई। इसके बाद से आज तक मौलश्री हरा-भरा है।
साल में एक बार डाली जाती है गोबर की खाद : बताते हैं कि पार्क में स्थित मौलश्री वृक्ष में हर वर्ष सितंबर से अक्टूबर के बीच गोबर की खाद डाली जाती है। इसके लिए किसी प्रकार का कोई अलग बजट नहीं है। इसके संरक्षण के लिए हर 15 से 20 दिन में सफाई की जाती है।
10 साल से ज्यादा पुराना है वृक्ष
दुबे ने बताया कि आचार्य रजनीश जी को 21 मार्च 1953 को संबोधि की परम उपलब्धि हुई थी, लेकिन इस वृक्ष की उम्र करीब 110 साल से ज्यादा है। इसकी देखभाल के लिए विशेष तौर पर निरीक्षण भी किया जाता है और जब तक पत्तियों में कीट न लगे, इस पर किसी प्रकार के कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया जाता है।