
रामचन्द्र पाण्डेय / भोपाल। एमपी बोर्ड की 10-12वीं की परीक्षाएं 25 फरवरी से होंगी। इधर, स्कूल शिक्षा विभाग प्रशिक्षण के नाम पर प्राचार्यों, शिक्षकों और अधिकारियों को सिंगापुर की सैर करा रहा है। इनमें एक दर्जन प्राचार्य और अधिकारी ऐसे हैं, जिनमें से कुछ इसी साल तो कुछ एक-दो साल में रिटायर हो जाएंगे। सिंगापुर गई टीम के 120 सदस्यों में प्राचार्य से लेकर आला अधिकारी तक शामिल हैं। पहली टीम में 68 और दूसरी में 52 प्राचार्य और अधिकारी गए थे। इस टीम को वहां की शिक्षा व्यवस्था स्टडी करनी है। इनकी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में शिक्षा में जरूरी सुधार करने की बात कही जा रही है। मप्र शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, यह समय बच्चों की तैयारी कराने का है। इसकी बजाय बड़ी संख्या में प्राचार्य और अधिकारियों को सिंगापुर भेज दिया गया है, वहीं अन्य शिक्षकों को अपार आईडी बनाने में लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकांश स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे हैं। ऐसे में अच्छे रिजल्ट कैसे आएगा, यह बड़ा सवाल है। इसके पहले सरकार ने एक टीम कोरिया भेजी थी। इस पर करीब 5 करोड़ खर्च हुए थे। सिंगापुर की यात्रा पर भी करीब 3.50 करोड़ खर्च का अनुमान है।
एक-दो साल में रिटायर होने वाले प्राचार्य भी टीम में शामिल
जानकारी के अनुसार, सिंगापुर जाने वाली टीम में शामिल एक प्राचार्य देवेन्द्र बंसल दिसंबर 2025 में रिटायर होने वाले हैं। इनके अलावा एक दर्जन प्राचार्य 2027 और 2028 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इन्हें स्टडी पर भेजने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
प्रशिक्षण का यही समय सही है। स्कूलों में कोर्स का रिवीजन कराया जा रहा है। जहां तक एक या दो साल में रिटायर होने वाले प्राचार्यों को भेजने की बात है, तो यदि कोई चाहे तो एक दिन या एक माह में बहुत कुछ सिखा सकता है। -अमिताभ अनुरागी, जनसंपर्क अधिकारी, राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल
स्कूलों में सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार के पास बजट नहीं है। वहीं प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी है। कोर्स पूरा नहीं हुआ है और प्री बोर्ड की परीक्षाएं सिर पर हैं। ऐसे में विभाग द्वारा प्राचार्यों-अफसरों को सिंगापुर की सैर कराई जा रही है। यह उचित नहीं है। -प्रबोध पंड्या, महासचिव, पालक महासंघ
प्री बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, जबकि बोर्ड परीक्षाओं के लिए कुछ समय बचा है। ऐसे प्राचार्यों और शिक्षकों के मार्गदर्शन की जरूरत होती है। अधिकांश स्कूलों में कोर्स पूरा नहीं हुआ है। विभाग को ऐसे दौरे परीक्षा के बाद कराना चाहिए। -मनीष कुमार द्विवेदी, पैरेंट, दानिश नगर, भोपाल
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