
सूरत। गुजरात में सूरत के एक हीरा व्यापारी की 8 साल की बेटी ने आलीशान जिंदगी त्याग कर संन्यास धारण करने का फैसला लिया है। हजारों लोगों की मौजूदगी में बुधवार सुबह छह बजे से 8 वर्षीय देवांशी की दीक्षा शुरू हो चुकी है। देवांशी ने 35 हजार से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ली।
न कभी देखी टीवी, न कभी गई रेस्टोरेंट
सूरत के हीरा व्यापारी संघवी मोहन भाई की पोती और धनेश-अमी बेन की बेटी देवांशी दो बहनों में सबसे बड़ी हैं। खेलने-कूदने और नाचने की उम्र में ही वे जैन धर्म ग्रहण कर संन्यासिनी बन गईं। बताया जा रहा है कि, हीरा कारोबारी की बेटी देवांशी संघवी ने 367 दीक्षा इवेंट्स में भाग लिया और इसके बाद वह संन्यास धारण करने के प्रति प्रेरित हुई। देवांशी के माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटी ने आज तक न कभी टीवी देखी और न ही मूवी। यहां तक की वह कभी किसी रेस्टोरेंट भी नहीं गई हैं। जैन धर्म में प्रतिबंधित चीजों को कभी इस्तेमाल नहीं किया।
5 भाषाओं की जानकार, संगीत, डांस और स्केटिंग में भी एक्सपर्ट
दीक्षा लेने से एक दिन पहले, शहर में 11 ऊंटों, 4 हाथियों, 20 घोड़ों और बड़ी धूमधाम के साथ देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकाली गई थी। इससे पहले मुंबई और एंट्वर्प में भी देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकली थी। देवांशी हिंदी, इंग्लिश समेत 5 भाषाओं की जानकार है। वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में एक्सपर्ट है।
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देवांशी का बचपन से ही वैराग्य की तरफ झुकाव था, यही वजह है कि उसने कम उम्र से ही वह गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया था.
देवांशी का परिवार का हीरा का पुराना कारोबार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, देवांशी धनेश सांघवी और उनकी पत्नी अमी की बड़ी बेटी हैं। उनका परिवार संघवी एंड संस नाम की हीरा कंपनी चलाता है, जो दुनिया की सबसे पुरानी हीरा कंपनियों में से एक है। धनेश संघवी जिस हीरा कंपनी के मालिक हैं, उसकी दुनियाभर में शाखाएं हैं और साला टर्नओवर करीब सौ करोड़ का है। अगर देवांशी संन्यास का मार्ग नहीं चुनतीं तो बालिग होने पर करोड़ों की हीरा कंपनी की मालिकिन होतीं।