जबलपुर. भातखंडे संगीत महाविद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह ऐतिहासिक रहा था। इसमें देश के ख्यातिलब्ध कलाकार शामिल हुए थे जिन्होंने समां बांध दिया था। अब यह वर्ष इस महाविद्यालय की हीरक जयंती मनाने का है मगर ऐसे समय जबकि वह अपने अस्तित्व के लिए ही जूझ रहा है तो हीरक जयंती के बारे में यहां का प्रबंधन सोच तक नहीं पा रहा है।
ऐसे मनाया गया था स्वर्ण जयंती समारोह
13,14 और 15 जनवरी 1999 को शहर के मानस भवन में भातखंडे संगीत महाविद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह भव्यता के साथ मनाया गया था। उस समय महाकौशल शिक्षा प्रसार समिति के अध्यक्ष पं. भवानी प्रसाद तिवारी के नेतृत्व यह आयोजन हुआ था। 3 दिनी आयोजनों में आने वाले ख्यातिलब्ध कलाकारों ने समां बांध दिया था। मानस भवन में जगह कम पड़ गई थी। संगीत रसिक अपने प्रिय कलाकारों की प्रस्तुति सुनने बाहर तक खड़े होकर कार्यक्रम सुनते रहे।
ये कलाकार आए थे शहर,दी थी प्रस्तुति
- पं. उल्हास कशालकर- ग्वालियर और जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले श्री कशालकर ईश्वर प्रदत्त सुमधुर कंठ के धनी है। वे संगीत रिसर्च अकादमी कोलकाता में गुरू पद पर भी रहे। देश विदेश में कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दीं। उनके गायन को शहर वासियों ने काफी सराहा था।
- पं. विश्वमोहन भट्ट- मोहन मीणा के जनक एवं विश्व के सर्वोच्च सम्मान ग्रेमी अवार्ड प्राप्त पं. विश्व मोहन भट्ट ने गिटार को मोहन मीणा में अवतरित किया था। भारत के सांस्कृतिक राजदूत के रूप में अमरीकी एवं यूरोपीय देशों में शास्त्रीय संगीत की प्राण-प्रतिष्ठा की है। मानस भवन में उनके कार्यक्रम में श्रोताओं ने इस विधा का आनंद लिया था।
- पं. सुरेश तलवलकर-आकाशवाणी व दूरदर्शन के टॉप ग्रेड कलाकार श्री तलवलकर तबला वाद्य में अपने हुनर से जाने जाते हैं। उन्होंने देश के सभी स्थापित गायक-वादक एवं नर्तकों के साथ सुसंगत का कीर्तिमान बनाया है। उनके तबला वादन से श्रोता अभिभूत रहे।
- पं. हरि प्रसाद चौरसिया- विश्वविख्यात बांसुरी वादक पं हरि प्रसाद चौरसिया ने सुरबहार की एकमात्र वादिका अन्नपूर्णा देवी से शिक्षा ली और देश और विदेश में निरंतर प्रस्तुत करते रहे हैं। ख्यात फिल्म सिलसिला में उन्होंने संगीत निर्देश किया था। वे स्वर्ण जयंती कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहे।
- बसंत रानडे- कंठ संगीत व वायलिन वादन अपने पिता चिंतामन राव रानडे से प्राप्त बसंत रानडे ने पद्म भूषण उस्ताद अली अकबर खां से भी मार्गदर्शन लिया। आकाशवाणी के वे ए ग्रेड कलाकार रहे। पूरे देश में वायलिन वादन के लिए वे प्रख्यात रहे।
- किरण देशपांडे- अंग्रेजी साहित्य और गायक में विशिष्टता के साथ स्नातकोत्तर पदवी के बाद शासकीय महाविद्यालय में संगीत के प्राध्यापक रहे किरण देशपांडे, दादा देश पांडे के पुत्र हैं। तबले के सभी घरानों की जानकारी रखते हुए भी स्वतंत्र वादन में इनका झुकाव दिल्ली, अजराडा और फर्रुखाबाद शैली की ओर अधिक है।
- विजय घाटे- संगीत जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके विजय घाटे ने किरण देशपांडे से शिक्षा ली थी। स्थापित नृत्य कलाकार, वादक और गायकों के साथ, समान दक्षता के साथ संगत करते हैं। अपनी विलक्षण प्रतिभा के कारण आज वे सामान्य और विशिष्ट दोनों श्रेणी के श्रोताओं के प्रिय हैं।
- सत्यजीत तलवलकर- विरासत में संगीत प्राप्त सत्यजीत प्रख्यात गायिका पदमा तलवलकर व तबला वादक सुरेश तलवलकर के पुत्र हैं। शैशव अवस्था से ही उन्हें अपने पिता से संगीत की शिक्षा मिली। वे भारतीय व पाश्चात्य ताल वाद्यों के संगत कार्यक्रम और ताल वाद्य कचहरी के सफल प्रस्तुतिकरण दे चुके हैं।
- अर्चना जोगलेकर- प्रख्यात फिल्म कलाकार और टीवी पर कई शो बना चुकीं अर्चना कत्थक नृत्य में स्नातकोत्तर हैं। उनका नाम हर किसी के लिए जाना पहचाना है। वे स्वर्ण जयंती समारोह में अपनी प्रस्तुति के लिए काफी सराही गई थीं।
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वर्तमान परिस्थितियों में हीरक जयंती का आयोजन तो दूर संगीत महाविद्यालय का अस्तित्व बच जाए इस पर चिंता है। संगीत महाविद्यालय के 75 वर्षों में यहां से सीखे विद्यार्थी जिनमें से कई संगीत के शिखर पर हैं । सभी की यही इच्छा है कि संगीत महाविद्यालय का अस्तित्व बचा रहे।
विलास मंडपे, प्रिंसिपल,भातखंडे संगीत महाविद्यालय।