
पंकज जैन भोपाल। हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले भोपाल से अब हॉकी की पौध नदारद सी है। नर्सरी उजड़ चुकी है, लेकिन क्रिकेट के बाग में बहार आ गई है। भोपाल में क्रिकेट की कई अकादमियां हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलत् खिलाड़ी सिर्फ अरेरा क्रिकेट अकादमी से ही निकल पाए हैं। अकादमी के मुख्य कोच सुरेश चेनानी शहर के एकमात्र ऐसे कोच है, जिनसे क्रिकेट का ककहरा सिखकर तीन खिलाड़ी विश्व कप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हाल ही में पहले अंडश्र-19 महिला विश्व कप में विजय शॉट लगाने वाली सौम्या तिवारी से पहले अजितेश अर्गल और मोहनीश मिश्रा भी चेनानी द्वारा तराशे गए क्रिकेटर हैं।
अकादमी के 27 वर्षों के सफर में क्रिकेट प्रशंसक और खिलाड़ी जुड़ते गए और कारवां बढ़ता चला गया। इन बरसों में चेनानी और उनकी प्रशिक्षकों की टीम ने अकादमी से देश को तीन अंतर्राष्ट्रीय सितारे दिए हैं। इसके अलावा कई राष्ट्रीय खिलाड़ी भी है, जो रणजी ट्रॉफी, मुश्ताक अली और कई अन्य घरेलू टूर्नामेंट में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
तीन दोस्तों ने की शुरुआत
इस अकादमी की शुरुआत 1996 में तीन दोस्तों ने मिलकर की थी। पहले चेनानी अरेरा क्रिकेट क्लब चलाते थे, फिर भोपाल के सबसे प्रतिष्ठित कोच पठानिया के पास चले गए। इस दौरान हेमंत कपूर और अविनाश बुरबुरे ने उन्हें वापस लाया और 1996 में अरेरा क्रिकेट अकादमी की स्थापना की है।
मकसद: खिलाड़ी तैयार करना
कोच चेनानी ने बताया कि मुझे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। इसी शौक ने मुझे कोच बना दिया। अरेरा क्रिकेट अकादमी की स्थापना का मकसद खिलाड़ियों को तैयार करना था। हमारी अकादमी की फीस बहुत नॉमिनल रखी गई थी। सिर्फ गेंद और मैंटनेंस का ही खर्च लिया जाता है।
अब तक नहीं बन पाए विश्वामित्र
कोच चेनानी ने देश को कई खिलाड़ी दिए लेकिन, उन्हें प्रदेश सरकार की ओर से कोई सम्मान नहीं दिया गया। यहां तक की मध्यप्रदेश का शिखर खेल अलंकरण में दिए जाने वाले विश्वामित्र अवार्ड से वे वंचित है। 2008 में सरकार की ओर से उन्हें इसके लिए फॉर्म भी भरवाया गया था, लेकिन तब भी उन्हें सम्मानित करना मुनासिब नहीं समझा गया। क्रिकेट का यह गुरु द्रोण आज भी विश्वामित्र जैसे अवार्ड से वंचित है।