
हिंदू नेता आचार्य स्वामी धर्मेंद्र का सोमवार को निधन हो गया। पिछले करीब एक महीने पहले उन्हें जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। उनकी आंत की बीमारी का इलाज चल रहा था। जिसके बाद सोमवार को उन्होंने 80 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। आचार्य धर्मेंद्र ने लंबे समय तक राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़कर अपना योगदान दिया था।
हिन्दुस्तान के उत्कर्ष के लिए समर्पित रहा जीवन
श्रीपंचखण्ड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज सनातन धर्म के अद्वितीय व्याख्याकार, प्रखर वक्ता और ओजस्वी वाणी के रामानंदी संत थे, विश्व हिंदी परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में शामिल रहे। वे 1965 के गोहत्या बंद करवाने के आंदोलन के नेतृत्व कर्ता थे। आचार्य महाराज का पूरा जीवन हिंदी, हिंदुत्व और हिन्दुस्तान के उत्कर्ष के लिए समर्पित रहा है।
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— Peoples Samachar (@psamachar1) September 19, 2022
13 साल की उम्र में निकाली थी समाचार पत्र
महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के पुत्र आचार्य धर्मेंद्र का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ। आचार्य ने मात्र 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला। उन्होंने महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद वे सुर्खियों में रहे। बता दें कि बाबरी विध्वंस मामले में मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती सहित आचार्य धर्मेंद्र को भी आरोपी माना गया था।
कहा था-मैं आरोपी नंबर वन हूं
आचार्य धर्मेंद्र राम मंदिर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखते थे। बाबरी विध्वंस मामले में उन्होंने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि मैं आरोपी नंबर वन हूं। सजा से डरना क्या? जो किया सबके सामने किया।
बता दें कि, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहने के कारण आचार्य धमेन्द्र का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनका संपर्क रहा। राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों के दिग्गज भाजपा नेता उनसे जुड़े रहे।