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स्ट्रेस को हैंडल करने के लिए सीखी जा रहीं रिलेक्सेशन टेक्निक, पिलाटे और पॉटरी मेकिंग

स्ट्रेस अवेयरनेस डे आज: तनाव दिनचर्या को प्रभावित करने लगे तो शुरू कर दें खास उपाय

तनाव कहीं न कहीं हर इंसान की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है, लेकिन इसका स्तर सभी के जीवन में अलग-अलग होता है। कुछ तनाव स्वाभाविक होते हैं, जैसे कि आगे की कार्य योजना, पढ़ाई, कॅरियर प्लानिंग, बच्चों को सेटल करना आदि। लेकिन कुछ तनाव दिनचर्या को प्रभावित करने लगते हैं। यदि ऐसा होता है तो स्ट्रेस को कम करने के लिए काउंसलिंग की मदद ली जा सकती है या फिर अपनी पसंद की चीजों या कुछ नया अपनाकर स्ट्रेस फ्री होने की टेक्निक व तरीके सीखे जा सकते हैं। यही वजह है कि अब लोग समय निकालकर अनावश्यक विचारों को आने से रोकने व उससे बाहर निकलने के लिए कई तरह की टेक्निक्स सीख रहे हैं, जिसमें इमोशनल फ्रीडम टेक्निक, डीप ब्रिदिंग टेक्निक, नेचर के साथ समय बिताना, पिलाटे, पॉटरी मेकिंग, जुंबा, सेल्फ लव जैसी टेक्निक शामिल हैं, ताकि अपने आप को स्ट्रेस फ्री या उस भावना को नियंत्रित किया जा सके जिसकी वजह से अक्सर स्ट्रेस होने लगता है।

मसल्स को आराम देने की तकनीक

प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन में शरीर सभी मांसपेशियों को आराम देना शामिल है। इसमें कुछ गहरी सांसों के साथ शुरुआत की जाती है। फिर, सिर से शुरू करके पैर की अंगुलियों तक प्रत्येक मांसपेशी समूह को कसने और आराम देने की प्रैक्टिस कराई जाती है। इसमें मांसपेशियों में तनाव और जकड़न को पहचानना सीखा जाता है। यह दिमाग और शरीर को काफी आराम देने की तकनीक है।

अरोमा थैरेपी का आनंद लें

तनाव से राहत के लिए अरोमा थैरेपी भी कई लोग लेना पसंद करते हैं। ब्रेन वेव्स की गतिविधि को रिलेक्स करके तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स को कुछ खास सुगंधों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ब्यूटी सैलून से लेकर थैरेपी एक्सपर्ट तक इसे फॉलो करते हैं। इसके लिए खासतौर पर कैंडल, डिफ्यूजर व बॉडी प्रोडक्ट्स आने लगे हैं।

डीप ब्रिदिंग टेक्निक

केवल अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने या सांस लेने के तरीके को बदलने से तनाव स्तर में बड़ा अंतर आ सकता है। सांस लेने की तकनीक शरीर और मस्तिष्क को कुछ ही मिनटों में शांत कर सकती है।

जो मन में आए उसे बनाएं

यदि ड्राइंग या पेंटिंग में रुचि नहीं है, तो रंग भरने वाली किताब में रंग भरने पर विचार करें। वयस्कों के लिए रंग भरने वाली किताबों की लोकप्रियता बढ़ी है। यह स्ट्रेस बस्टर बुक टाइटल से आ रही हैं। वहीं खाली कागज पर जरूरी नहीं कुछ सुंदर बनाएं, लेकिन तनाव होने पर कुछ स्कैचिंग या ड्राइंग करें तो इससे दिमाग डायवर्ट होने लगता है।

पॉटरी मेकिंग आर्ट

अब इलेक्ट्रॉनिक चाक आने की वजह से पॉटरी मेकिंग आर्ट आसान हो गया है। अब पॉटरी स्टूडियो भी शुरू हो गए हैं, जहां हर एज ग्रुप के लोग मिट्टी के साथ अपने तनाव को कम करते चले जाते हैं। मूर्तिकला को अब काफी पसंद किया जा रहा है, जो कि अच्छा स्ट्रेस बस्टर माना जाता है।

स्ट्रेस को हैंडल करने की टेक्निक सीखें

हर तनाव बुरा नहीं होता क्योंकि यह होना स्वाभाविक है, लेकिन जब तनाव हमारी लाइफस्टाइल व रिश्तों पर असर डालने लगे, प्रोडक्टिविटी घटाने लगे तो यह चिंता का विषय है। ऐसे में योग, एरोबिक्स, पिलाटे यानी फिजिकल वर्क आउट पर काम करें, लेकिन उसका भी मन न करें तो हीलिंग प्रोसेस पर जाएं जो स्ट्रेस को कम करें, जैसे कि माइंडफुलनेस टेक्निक्स, इमोशनल फ्रीडम टेक्निक, डीप ब्रिदिंग, योग आदि। कई लोग इसके जरिए कुछ समय में तनाव को हैंडल करना सीख जाते हैं, लेकिन फिर भी बात न बने तो फिर प्रोफेशनल काउंसलर से संपर्क करके उनसे काउंसलिंग कराएं क्योंकि वे तनाव के ट्रिगर्स की पहचान करके उसे कम करने का प्रयास शुरू करते हैं। आजकल बच्चों में भी तनाव देखा जा रहा है तो उन्हें भी यह टेक्निक्स सिखाएं। -डॉ. शिखा रस्तोगी, काउंसलर

सेल्फ हीलिंग से भी घटने लगता है तनाव

फिटनेस के अलावा एक बड़ा कारण पिलाटे, जुंबा या एरोबिक्स करने का, तनाव को कम करना भी है। सभी की लाइफ में कुछ न कुछ तनाव जरूर है, लेकिन सेल्फ हीलिंग बड़ी चीज है, यदि आप इतने जागरूक है कि अपने लिए समय निकालकर कुछ प्रयास कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर तनाव आपके जीवन पर असर नहीं डालेगा। मेरे पास आने वाली महिलाएं चाहें तो घर पर भी फिटनेस पर काम कर सकती हैं, लेकिन स्टूडियो में आकर उनका एक सोशल सर्किल बनता है। वे एक साथ जब वर्कआउट व डांस करती हैं, तो मसल्स रिलेक्स होने के साथ ही माइंड भी रिलेक्स होता है, तो यह तनाव को मैनेज करने का कारगर तरीका है। हम समय-समय पर खुश और तनाव मुक्त रहने पर एक्सपर्ट टॉक सेशन का आयोजन भी करते हैं। -रेनु अदलखा, फिटनेस एक्सपर्ट

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