
नई दिल्ली। चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) आज दोपहर या शाम तक गुजरात के तट से टकराएगा। मौसम विभाग ने कच्छ और सौराष्ट्र के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। बिपरजॉय कच्छ जिले के जखाऊ में जमीन से टकराने की आशंका है।
मौसम विभाग के मुताबिक, दोपहर या शाम जब तूफान तट से टकराएगा और उस समय हवा की रफ्तार 125 से 150 किमी प्रति घंटा रहेगी। वहीं चक्रवात के कारण द्वारकाधीश मंदिर को आज श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है। वहीं प्रभावित 8 जिलों से 75 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।
#WATCH | Gujarat: Dwarka witnesses rough sea conditions and strong winds under the influence of #CycloneBiporjoy
(Visuals from Bhadkeshwar Mahadev Temple) pic.twitter.com/Tyw2kVGOCE
— ANI (@ANI) June 15, 2023
74 हजार का हुआ रेस्क्यू
चक्रवाती तूफान के कारण होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए गुजरात प्रशासन तैयारी में जुटा हुआ है। बीते 2 दिनों के अंदर गुजरात के तटीय इलाकों से 74 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। संभावना है कि गुजरात के 8 जिलों के 442 निचले गांव भारी बारिश के कारण बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं। वहीं गुजरात के साथ महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी इसका असर पडे़गा। कोस्ट गार्ड, आर्मी और नेवी की रेस्क्यू और रिलीफ टीमों को स्टैंडबाई पर रखा गया है।
कच्छ में लगाई धारा 144
गुजरात के कच्छ जिले में धारा 144 लगा दी गई है। पश्चिम रेलवे ने चक्रवात संभावित क्षेत्रों में 67 ट्रेन रद्द की हैं, 25 के रूट बदले हैं। अकेले कच्छ जिले से 34 हजार से ज्यादा लोगों को निकाला गया।
बिपरजॉय क्या है?
अरब सागर में इस साल उठे पहले चक्रवात को ‘बिपरजॉय’ का नाम दिया गया है। यह चक्रवाती तूफान पिछले कुछ दिनों अरब सागर में रहने के बाद छह जून की देर रात तेज हो गया। इसके बाद इसे साइक्लोन ‘बिपरजॉय’ नाम दिया गया। ‘बिपरजॉय’ बांग्ला भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘आपदा’। इस खतरनाक होते तूफान को बांग्लादेश द्वारा ही बिपरजॉय नाम दिया गया है।
फसलों को भी हो सकता है नुकसान
आईएमडी ने बिपरजॉय चक्रवात से 15 जून को सबसे ज्यादा खतरा बताया है। ऐसे में एडवाइजरी जारी कर सभी लोगों को घर के अंदर और सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए कहा गया है। चक्रवात के आने से पेड़, बिजली के खंबे, सेलफोन टॉवर उखड़ सकते हैं। इसकी वजह से खड़ी फसलों का भी नुकसान होने की संभावना है।