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चंबल में आतंक का पर्याय रही डकैत कुसुमा नाइन की मौत

21 साल पहले गैंग लीडर फक्कड़ बाबा के साथ दमोह थाने में किया था सरेंडर

ग्वालियर। देश की दस्यु सुंदरियों में से एक और भिंड जिले में अपने आतंक को अंतिम विराम देने वाली महिला डकैत कुसुमा नाइन की आखिरकार बीमारी के चलते मौत हो गई। कुसुमा ने 21 साल पहले मल्लाहों के नरसंहार के बाद गैंग लीडर फक्कड़ बाबा के साथ भिंड जिले के दमोह थाने में सरेंडर किया था। इसके बाद वह इटावा जेल में सजा काट रही थी, इसी दौरान गंभीर बीमारियों के चलते उसकी हालत बिगड़ी और शनिवार-रविवार की दरमियानी रात उसने आखिरी सांस ली।

चंबल अंचल में 25 वर्ष तक आतंक बरपाने के बाद इटावा जेल में उम्रकैद की सजा काट रही खूंखार डकैत कुसुमा नाइन की इलाज के दौरान मौत हो गई। जेल में तबीयत बिगड़ने पर कुसुमा नाइन को पहले जिला अस्पताल इटावा में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उसे सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था।

उसकी स्थिति में सुधार न होने पर उसे पिछले दिनों लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया था। शनिवार रविवार की दरमियानी रात को उसकी मौत हो गई। कुसुमा 80- 90 के दशक की सबसे खूंखार महिला डकैत थी, जिसने फूलन देवी जैसी डकैत को भी पेड़ से लटका कर मारा था। इतना ही नहीं उसने बदला लेने के लिए एक पूरे गांव में आग लगा दी थी। गौरतलब है कि चंबल की खतरनाक महिला डकैत कुसुमा का इटावा से जुड़े पचनदा क्षेत्र में आतंक था, उसने मां-बेटे सहित 15 लोगों को एक साथ गोलियों से भून दिया था।

फूलन देवी से बदला लेने के लिए बनी थी डकैत

बता दें कि मई 1981 में फूलन देवी ने डाकू लालाराम और श्रीराम से अपने दुष्कर्म का बदला लेने के लिए कानपुर देहात के बेहमई गांव में 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर गोली मारी थी। इसके बाद लालाराम और कुसुमा नाइन बेहमई कांड के प्रतिशोध में सन् 1984 में औरैया के अस्ता गांव में 15 मल्लाहों को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी थी।

कौन थी डकैत कुसुमा नाइन, पूरी कहानी

वर्ष 1964 में जालौन के टिकरी गांव में पैदा हुई कुसुमा नाइन को माधव मल्लाह से प्रेम हो गया था। वह उसके साथ चली गई थी। इसके बाद पिता ने विरोध किया था और दिल्ली पुलिस से पकड़वा दिया था। इसके बाद उसकी दूसरी जगह शादी कर दी थी। माधव मल्लाह, विक्रम मल्लाह डकैत का परिचित था। शादी के कुछ समय बाद ही डकैत विक्रम मल्लाह कुसुमा नाइन को उसकी ससुराल से उठा लाया था। कुछ समय बाद फूलन देवी से अनबन के बाद कुसुमा राम आसरे तिवारी उर्फ फक्कड़ गैंग में शामिल हो गई और फिर फूलन एवं उसकी गैंग को दुश्मन मानकर बदला लिया। इसके बाद उसने अपनी गैंग के सरदार रामसहाय उर्फ फक्कड़ बाबा के साथ भिंड के दमोह थाने में वर्ष 2004 में सरेंडर किया था। कुसुमा ने औरैया के मई अस्ता गांव में पहुंचकर कई मल्लाहों को एक साथ गोली मारने के बाद वहां पर आतंक मचाते हुए उनके घरों में आग भी लगा दी थी।

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