जबलपुरताजा खबर

केंट चुनाव: 60 फीसदी वोटरों के नाम काटे,महज 40 फीसदी से होंगे चुनाव

जबलपुर। रक्षा मंत्रालय ने देश के सभी केंट बोर्ड में चुनाव घोषित कर दिए हैं। इनमें जबलपुर केंट बोर्ड में हाल ही में मतदाता सूची में नाम आपत्ति की प्रक्रिया संपन्न हुई है। इसमें बड़ी संख्या में लोगों के नाम काटे जाने पर हंगामा मचा हुआ है। दरअसल करीब 60 फीसदी मतदाताओं के नाम काटे जा चुके हैं शेष 40 प्रतिशत मतदाताओं के नाम ही मतदाता सूची में प्रकाशित हैं लिहाजा बाकी के लोग अपना नाम वापस मतदाता सूची में जुड़वाना चाहते हैं जिसके लिए वे राष्ट्रपति को पत्र प्रेषित कर रहे हैं।

ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश प्रसारित किया था जिसमें छावनीक्षेत्र में अतिक्रमण कर बसे लोगों के नाम मतदाता सूची से काटने के आदेश दिए गए थे,यह याचिका मप्र के पचमढ़ी केंट बोर्ड से संबंधित थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पचमढ़ी से ऐसे हजारों नाम अलग भी कर दिए गए थे। इसी आदेश को नजीर मानते हुए जबलपुर केंट बोर्ड ने भी कुल 45 हजार वोटरों में से 26 हजार को अतिक्रमणकारी मानते हुए इनके नाम मतदाता सूची से अलग कर दिए। तब से केंट में चुनाव ही नहीं हुए और पूर्व में चुने मेम्बरों को ही एक्सटेंशन मिलता रहा। अब जबकि चुनाव घोषित हुए हैं तो मतदाता अपना नाम जुड़वाने सक्रिय हुए हैं।

ये था नाम काटने का पैमाना

जिनके पास भी अपने मकान नंबर नहीं थे उन्हें अतिक्रमणकारी मानते हुए नाम मतदाता सूची से काटे गए थे। वहीं काटे गए नाम वाले मतदाताओं का कहना था कि वे कई पीढ़ियों से केंट इलाके के बगीचा व बंगला एरियों में रह रहे हैं। जो कि अंग्रेज शासनकाल में ही लीज पर दिए गए थे। अब एकाएक उन्हें अतिक्रमणकारी माना जाना केंट बोर्ड का अन्याय है।

क्या कहती है धारा 28

वहीं दूसरी ओर छावनी अधिनियम की धारा 28 के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति 6 माह से 1 वर्ष की अवधि केंट क्षेत्र में निवास करता है उसे छावनीक्षेत्र का रहवासी माना जाता है। इस नियम को देखा जाए तो जो लोग 100 साल से पीढ़ी दर पीढ़ी रह रहे हैं उन्हें अतिक्रमणकारी कैसे माना जा सकता है।

फैक्ट फाइल

  • 43560 मतदाता थे विगत चुनाव तक केंट में
  • 25000 मतदाताओं के नाम काटे गए
  • 18440 मतदाता बचे हैं वर्तमान में
  • 30 अप्रैल को होने हैं केंट बोर्ड में चु नाव

सेक्शन 28 के तहत यदि केंट बोर्ड के क्षेत्र में कोई 6 माह से 1 साल तक निवास कर लेता है तो फिर उसे केंट बोर्ड में मतदान करने का अधिकार होता है लेकिन यहां तो छावनी मंडल में हजारों की संख्या में मतदाता पीढ़ियों से रह रहे हैं,तो फिर सेक्शन 28 नियम के तहत उन्हें कैसे वोट देने से वंचित किया जा सकता है। यदि मतदाताओं के काटे गए नाम नहीं जोड़े गए तो हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। -अभिषेक चौकसे चिंटू पूर्व उपाध्यक्ष,केंट बोर्ड।

जब 2017 में केंट बोर्ड में कांग्रेस का राज और अधिकार था तब बगीचा व बंगला क्षेत्र में रहने वाले 25 हजार मतदाताओं के नाम काटे जाने पर आपत्ति क्यों नहीं लगाई गई। अब केंट बोर्ड में चुनाव होने वाले हैं तो मतदाताओं के नाम जुड़वाने के लिए कांग्रेस प्रदर्शन कर पाखंड कर रही है। हम आठों वार्डों में अपने काम की वजह से चुनाव जीतेंगे। -अशोक रोहाणी, विधायक केंट विधानसभा क्षेत्र।

संबंधित खबरें...

Back to top button