भोपालमध्य प्रदेश

सिंधी समाज ने सदियों बाद पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा छोड़ी! लिया पूजा पद्धति में बदलाव का कठोर फैसला, रचेंगे नया ‘सनातनी आदि ग्रंथ’

राजीव सोनी, भोपाल। सदियों से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा कर रहे सिंधी समाज ने एकाएक उनसे दूरी बनाने का कठोर फैसला कर लिया है। सिंधी समाज अपने मंदिरों में रखे गुरु ग्रंथ साहिब ‍सिखों के गुरुद्वारों को लौटाने लगे हैं। इंदौर में हथियारबंद निहंग सिखों से गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा के मुद्दे पर कटुता बढ़ने के बाद अखिल भारतीय सिंधी संत सम्मेलन ने यह घोषणा की है। समाज अब गुरु ग्रंथ साहिब की तर्ज पर अपने लिए नया ‘सनातनी आदि ग्रंथ’ की रचना करेगा। बंटवारे में अपनी जमीन और वतन से बेदखल हुए सिंधियों को इस घटना ने करीब 400 साल की पूजा पद्धति में बदलाव के लिए मजबूर कर दिया। धार्मिक मान्यताओं के लिए सिंधियों ने सिखों से अलग राह चुन ली है।

इस विवाद से देश भर का सिंधी समाज उद्वेलित है। समाज के महंत तुलसी दास उदासी बताते हैं कि विवाद की शुरुआत  इंदौर से हुई जहां पंजाब से आए हथियारबंद निहंग सिखों ने सिंधी मंदिरों में जबरिया घुसकर कहा कि आप लोग गुरुग्रंथ साहिब की ‘बेअदबी’ कर रहे हैं। उन्होंने मर्यादा पालन करने की हिदायत और देवी-देवताओं की मूर्तियां हटाने का अल्टीमेटम दे दिया।

गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां सिख गुरुद्वारों को लौटाईं

धार्मिक मुद्दे पर देश में पहली बार सिख व सिंधी समाज के बीच ऐसी नौबत आई है। इंदौर, भोपाल, खंडवा, उल्हासगर और भुसावल में सिंधी समाज के मंदिर, दरबार और संतों के डेरों में दशकों से रखी गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां सिख गुरुद्वारों को लौटा दी गई। इंदौर में अब तक 110 और भोपाल में 25 गुरु ग्रंथ साहिब लौटाए जा चुके हैं। इस मुद्दे पर बढ़ती कटुता देख 25-26 मार्च को अमरावती में अखिल भारतीय सिंधी संत सम्मेलन में सिंधियों ने पूजा पद्धति और धार्मिक मान्यताओं के लिए सिखों से अलग सनातन का रास्ता चुन लिया। महामंडलेश्वर हंसरामजी महाराज भीलवाड़ा और स्वामी खिमिया दासजी महाराज की मौजूदगी में फैसला हुआ कि सिंधी अपने लिए गुरु ग्रंथ साहिब की तर्ज पर ‘सनातनी आदि ग्रंथ’ तैयार करेंगे। इसके साथ ही वे शास्त्र सम्मत सनातनी देवी-देवताओं की पूजा पद्धति को प्राथमिकता देंगे।

नहीं मिला ‘शंकर और भगवान’ का रिएक्शन

लोकसभा में एकमात्र सिंधी सांसद शंकर लालवानी और भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई रिएक्शन नहीं दिया। उधर अमरावती सम्मेलन में महंत अर्जुन दास उल्हासनगर, महंत हनुमानराम पुष्कर, स्वामी हंसदास रीवा,स्वामी गणेशदास भीलवाड़ा और रायपुर के युधिष्ठिर लाल ने एक सुर में संत समाज के फैसले पर सहमति जताई। समाजसेवी डाॅ एमएल टेहलानी और कपड़ा व्यवसायी मोती सेवानी इस फूट को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं। जनसंपर्क विभाग के अधिकारी अशोक मनवानी बोले – हमारी साझा संस्कृति खंडित हुई,दोनों समाज के शीर्ष नेतृत्व को गंभीरता दिखानी थी। गुरुद्वारा समिति के जीपी सिंह कहते हैं सिंधी समाज मर्यादा का पालन नहीं कर पा रहा था।

निहंगों को गर्मी नहीं दिखाना थी : मंजीत सिंह

हां, यह सही है कि पंजाब के निहंगों से विवाद को लेकर सिंधियों ने अपने गुरु ग्रंथ साहिब गुरुद्वारों को लौटा दिए हैं। हथियार बंद निहंगों ने लोकल कमेटी से चर्चा किए बिना ही गर्मा-गर्मी दिखाई जो गलत है। गुरुनानक देवजी का संदेश तो पूरी मानवता के लिए है। हम सबका सम्मान करते हैं : मंजीत सिंह, अध्यक्ष गुरु सिंध सभा, इंदौर

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