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वर्क फोर्स का मूल मंत्र! स्किलिंग, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग; जी-20 की बैठक में बोले PM

इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में आयोजित जी-20 श्रम और रोजगार मंत्रियों की बैठक को शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। पीएम मोदी ने टेक्‍नोलॉजी पर फोकस करने पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में, टेक्‍नोलॉजी रोजगार का मुख्य चालक बन गई है और आगे भी कई सालों तक बनी रहेगी। यह सौभाग्य की बात है कि यह बैठक ऐसे देश में हो रही है, जिसके पास पिछले ऐसे प्रौद्योगिकी-आधारित परिवर्तन के दौरान बड़ी संख्या में टेक्‍नोलॉजी आधारित नौकरियां पैदा करने का अनुभव है।

पीएम मोदी ने ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ का भी उदाहरण दिया, जिसके तहत अब तक भारत के 12.5 मिलियन युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ड्रोन जैसे उद्योग ‘फोर प्वॉइंट ओ’ सेक्टरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

जी-20 में पीएम मोदी की अहम बातें

  • रोजगार को आर्थिक और सामाजिक पहलुओं के सबसे अहम हिस्से के रूप को हाईलाइट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया इस समय रोजगार सेक्टर के मद्देनजर कुछ महान बदलावों की दहलीज पर खड़ी है। उन्होंने इन तेज बदलावों को ध्यान में रखते हुए जवाबी और कारगर रणनीतियां तैयार करने की जरूरत पर बल दिया।
  • पीएम मोदी ने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति के इस युग में, रोजगार की मुख्य प्रेरक-शक्ति प्रौद्योगिकी है और रहेगी। उन्होंने प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में होने वाले बदलावों के हवाले से पिछले दिनों प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अनेक रोजगारों का सृजन करने में भारत की क्षमता को उजागर किया। पीएम ने मेजबान शहर इंदौर की भी चर्चा की, जो इस समय बदलावों की नई लहर में कई स्टार्ट-अप्स का गढ़ बन चुका है।
  • पीएम मोदी ने कोविड के दौरान भारत के अगुआ स्वास्थ्य सेवियों के कौशल और समर्पण को उजागर किया और कहा कि इससे सेवा व करुणा की भारतीय परंपरा परिलक्षित होती है। उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्व में कुशल श्रमशक्ति के सबसे बड़े प्रदाता देशों में से एक बनने की क्षमता है तथा वैश्विक रूप से चलित श्रमशक्ति भविष्य में वास्तविकता बन जायेगी।
  • पीएम ने विकास के वैश्वीकरण तथा सच्चे अर्थों में कौशल को साझा करने में जी-20 की भूमिका पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कौशल और योग्यता आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नौकरी-पेशे की जानकारियां शुरू करने के लिए सदस्य देशों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग व समन्वय तथा प्रवास और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के बारे में साझेदारियों के नए तौर-तरीकों की जरूरत है।
  • पीएम ने सुझाव दिया कि शुरूआत में नियोक्ताओं और कामगारों के बारे में आंकड़ों, सूचना व डाटा को साझा किया जाना चाहिए, जिससे बेहतर कौशल निर्माण, श्रमशक्ति योजना और लाभप्रद रोजगार के लिए प्रमाण-आधारित नीतियां बनाने में दुनिया भर के देश क्षमतावान बन सकें।
  • पीएम मोदी ने संकेत किया कि पूरे कलेवर में आने वाला बदलाव स्वतंत्र कामगारों व ठेके पर काम करने वालों तथा किसी एप्प या वेबसाइट के जरिये ग्राहकों के लिए काम करने वालों के नए वर्गों के पैदा होने के कारण संभव हुआ है। ये दोनों तरह की अर्थव्यवस्थायें महामारी के दौरान अस्तित्व में आई थीं।
  • पीएम ने कहा कि यह लचीली व्यवस्था है और इससे आय के अतिरिक्त स्रोत मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में लाभप्रद रोजगार पैदा करने, खासतौर से युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने की अपार क्षमता है। इसके जरिये महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में भी बदलाव लाया जा सकता है।
  • मोदी ने नए युग के इन कामगारों के लिए नए युग की नीतियां और योजनाएं बनाने में अपनी क्षमता पहचानने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि नियमित काम के लिए अवसर पैदा करने के सतत समाधान खोजे जायें तथा सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कुशलक्षेम सुनिश्चित करने के लिए नये तौर-तरीके तैयार किये जाएं।
  • प्रधानमंत्री ने भारत के ‘ई-श्रम पोर्टल’ की चर्चा की, जिस पर लगभग 280 मिलियन लोगों ने पंजीकरण कराया है तथा उसके जरिये इन कामगारों को लक्षित करके उनके कल्याण का काम किया जा रहा है। सभी देशों को इसी तरह के समाधानों को अपनाना चाहिये, क्योंकि काम की प्रकृति हर जगह समान होती जा रही है।
  • पीएम मोदी ने संकेत दिया कि हालांकि 2030-एजेंडा में लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना प्राथमिकता है, लेकिन इसके बावजूद अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने जो मौजूदा प्रारूप अपनाया है, उसमें केवल लाभ को ध्यान में रखा गया है। इन लाभों को सिकुड़े-सिमटे तरीके से तैयार किया गया है, जबकि अन्य प्रारूपों द्वारा दिये जाने वाले लाभों को इस प्रारूप में शामिल नहीं किया गया है।
  • पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सामाजिक सुरक्षा के दायरे की सही तस्वीर समझने के लिए, सार्वभौमिक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, बीमा और पेंशन कार्यक्रमों के लाभों को ध्यान में रखना होगा।
  • पीएम ने सुझाव दिया कि हमें हर देश की अनोखी आर्थिक क्षमताओं, शक्ति और चुनौतियों को समझना होगा। हमें यह जानना होगा कि सबके लिए एकरूपी सोच सामाजिक सुरक्षा के अनवरत वित्तपोषण के लिए उपयुक्त नहीं है।

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