जबलपुरताजा खबरमध्य प्रदेश

ओवर थिंकिंग ; 40% तक बढ़े केस, 30 से 45 उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित

हर्षित चौरसिया-जबलपुर। ज्यादा चिंता यानी ओवर थिंकिंग के मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ा रही है। डेढ़ से दो साल में पहले की अपेक्षा मानसिक रोग विभाग में ओवर थिंकिंग के मरीजों में 40% तक की वृद्धि हुई है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉ. ओपी रायचंदानी के मुताबिक 30 से 45 वर्ष के लोग ओवर थिंकिंग से ज्यादा पीड़ित हैं। इनमें उनकी संख्या अधिक है, जिनके परिवार या दोस्त की मृत्यु किसी बीमारी से हो गई है।

क्या है ओवर थिंकिंग

ओवर थिंकिंग या अत्यधिक चिंतन एक सामान्य मानसिक समस्या है, जिसमें व्यक्ति अत्यधिक सोचने या चिंतन करने में अपना ज्यादा समय व्यतीत करता है। भले ही उसके लिए वो विषय महत्वपूर्ण हो या नहीं। ज्यादा सोचने वाले व्यक्ति हमेशा अति चिंता में रहते हैं और उनमें चिड़चिड़ापन सबसे ज्यादा देखा जाता है।

केस 1

जबलपुर के डॉक्टरों ने बताया कि एक 36 वर्षीय युवक के दोस्त की मृत्यु कुछ माह पहले हार्ट अटैक के कारण हुई थी। इसके बाद युवक आए दिन छाती में दर्द की समस्या को लेकर हृदय रोग विशेषज्ञ के पास जाने लगा और परिजनों से मृत्यु होने की बात कहते हुए हर सप्ताह जांच कराता था।

केस 2

32 वर्षीय युवती के मुंह में छाला हो गया उसे इस बात का भय था कि वह कैंसर से पीड़ित हो गई। इसे लेकर कैंसर विशेषज्ञों से परामर्श के साथ आए दिन कैंसर संबंधी जांच कराना शुरू कर दी। रिपोर्ट नार्मल होने के बाद डॉक्टरों ने मनोचिकित्सक से उपचार कराने की सलाह दी।

कैसे जानें ओवरथिंकिंग के शिकार हैं

  • किसी भी चीज के बारे में लगातार सोचते रहना, ऐसी चीज के बारे में, जिस पर कंट्रोल भी न हो।
  • खुद से होने वाली गलतियों के बारे में बार- बार याद करना कि लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे।
  • नींद न आना या सोने के दौरान परेशानी महसूस करना। उदाहरण के लिए, बार-बार नींद टूट जाना।
  • अपने दिमाग में शर्मनाक पलों को बार-बार सोचकर उसे दोहराना।
  • अपने मन के सवालों में उलझे रहना।
  • नौकरी और उससे जुड़ी अनिश्चितता भी बन रहे कारण।
  • लोगों के साथ हुई बातचीत को बार-बार याद करना, जैसे कि काश मैंने ये नहीं कहा होता।

दो साल पहले की अपेक्षा ओवर थिंकिंग के मरीजों में करीब 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जो मरीज सामने आ रहे हैं, उनमें मानसिक बीमारी से पीड़ित होने का डर होता है, 30-45 वर्ष तक के अधिक हैं। – डॉ. सारंग पंडित, साइकोलॉजिस्ट

ओवर थिंकिंग के मरीजों में वृद्धि देखी गई है। यह एक पैथोलॉजिकल एंग्जायटी है। जीवनशैली में बदलाव करे तो ठीक हो सकते है। – डॉ. रत्नेश कुररिया, साइकोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल, जबलपुर

संबंधित खबरें...

Back to top button