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एकाग्रता बढ़ाने चक्के की गति में खोए युवा, सीख रहे मिट्टी के बर्तन बनाना

सिरेमिक आर्ट : भारत भवन में मिट्टी शिल्प प्रशिक्षण लेने पहुंच रहे स्टूडेंट्स

मिट्टी शिल्प सिर्फ एक कला नहीं है, बल्कि यह एक अनुभव भी है, जो युवाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। यह उन्हें नए कौशल सीखने और अपनी रचनात्मकता को विकसित करने का भी मौका देती है। साथ ही गोल घूमते चक्के को देखना काफी आरामदायक होता है।

भारत भवन के सिरेमिक आर्ट स्टूडियो में बड़ी संख्या में युवा चक्के पर अपने हाथों से गीली मिट्टी को बर्तनों का आकार देना सीख रहे हैं और मिट्टी के संग वक्त बिताते हुए छोटी-छोटी पोटरीज बना रहे हैं। वहीं, कई युवा गोल घूमते चक्के पर बनते इन बर्तनों को लगातार मिनटों तक देखते हैं, जिससे उन्हें अलग ही अहसास होता है। इन दिनों यूं भी कंस्ट्रक्शन बेहतर करने के लिए मिट्टी शिल्प सीख रहे हैं, ताकि उनका मन लंबे समय तक एक काम में लग सके।

युवाओं को मिल रहा नया कौशल सीखने का मौका

मिट्टी शिल्प कला युवाओं को अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने और एक नया कौशल सीखने का मौका देती है। साथ ही यह हमारी संस्कृति और परंपराओं को भी संरक्षित करने में मदद कर सकती है। कई लोग इसे रोजगार के नए अवसर के रूप में भी देख रहे हैं।

शांत और एकाग्र रहने में मदद करती है मिट्टी शिल्प

गोल घूमते चक्के पर मिट्टी से बर्तनों को आकार लेते हुए देखा, तो मैं कई मिनटों तक इसे लगातार देखता रहा। इसे देखना आंखों और माइंड को रिलेक्स करता है। यह मुझे शांत और एकाग्र रहने में मदद करता है। – कार्तिकेय पांडे, स्टूडेंट

बर्तन बनाने मंडला से साथ लेकर आए हैं मिट्टी

मैं बचपन से ही मिट्टी बर्तन बनाने का काम करते आ रहा हूं। हम मंडला से दो लोग आए हैं। बर्तन बनाने के लिए मंडला की मिट्टी साथ लाए हैं, क्योंकि मंडला की मिट्टी से बिना कुछ मिलाए प्योर मिट्टी से बर्तन बना सकते हैं। आज के समय में यूथ जनरेशन मिट्टी के बर्तनों की ओर आकर्षित होने लगे हैं और इन्हें बनाना सीख रहे हैं। हम यहां पर मिट्टी के दीए, कुल्हड़ आदि बनाना सिखा रहे हैं। – भीकम प्रजापति, आर्टिस्ट

मिट्टी के बर्तन बनाना अच्छी एक्सरसाइज

मिट्टी के बर्तनों को आकार लेते देख मुझे भी लगा कि इसे ट्राई करना चाहिए। जब हाथों से मिट्टी को आकार देने का प्रयास किया तो यह हाथों के लिए एक अच्छी एक्सरसाइज थी। यहां पर मैंने दीपक और कुल्हड़ बनाने का प्रयास किया। – नीलेश सिंह, स्टूडेंट

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