
पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। मध्यप्रदेश में कैबिनेट बैठक के इतिहास में चौंकाने वाली खबर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सत्ता संभालने के कुछ दिन बाद ही कैबिनेट बैठक के दौरान सीएम के बगल में लगने वाली सीएस की कुर्सी हटा दी गई है। मुख्य सचिव की कुर्सी अब मंत्रियों के पीछे वाली कतार में पहुंच गई है। मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने पहली कैबिनेट बैठक 13 दिसंबर 2023 को मंत्रालय में बुलाई थी। इस बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा की कुर्सी सीएम के बगल में लगाई गई थी।
इसके बाद की बैठकों में सीएस की कुर्सी हटा दी गई। 27 फरवरी और तीन सितंबर 2024 को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा को मंत्रियों के पीछे वाली दूसरी कतार में पहली कुर्सी में देखा गया। इसके पहले की बैठकों में भी सीएस की कुर्सी सीएम के बगल में नजर नहीं आई। हालांकि विभागीय बैठकों के दौरान सीएस राणा की कुर्सी पहली कतार में लगाई जा रही है।
यह है नियम : मंत्रिपरिषद का सचिव होता है मुख्य सचिव
मुख्य सचिव राज्य की प्रशासनिक पदानुक्रम के शीर्ष पर है। मुख्य सचिव को कैबिनेट सचिव के रूप में जाना जाता है। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शासन से संबंधित सभी नीतिगत मुद्दों पर मुख्य सचिव से परामर्श करता है। सीएस का दायित्व राज्य सरकार के सचिवों और मुख्यमंत्री के बीच की कड़ी के रूप में भी कार्य करना है।
मेरी जानकारी में नहीं कि कभी सीएस की कुर्सी बदली हो
कैबिनेट बैठक के दौरान सीएस की कुर्सी सीएम के बगल में इसलिए होती है कि किसी प्रस्ताव पर मुख्य सचिव सीएम के कान में बता सके, तकनीकी जानकारी दे सके। तत्काल कोई सलाह देना पड़ सकती है। वैसे कुर्सी बगल में लगाने और नहीं लगाने का यह मुख्यमंत्री का अधिकार है। मेरी जानकारी में नहीं है कि सीएस की कुर्सी सीएम के बगल से कभी बदली गई हो। -अवनि वैश्य, पूर्व मुख्य सचिव