
पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) से दुख भरी खबर आई है। बाघों का कुनबा बढ़ाने वाली एवं मदर ऑफ पन्ना टाइगर रिजर्व कही जाने वाली बाघिन टी-1 की मौत हो गई। बाघिन की मौत से पूरे टाइगर रिजर्व में सन्नाटा पसर गया। मनोर परिक्षेत्र में बाघिन का करीब एक सप्ताह पुराना शव मिला है। वन्य कर्मियों ने उसका ससम्मान अंतिम संस्कार किया। उसकी मौत कैसे हुई, अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा ने की मौत की पुष्टि हैं।
बता दें कि इस बाघिन की उम्र करीब 17 साल थी। इसे साल 2009 में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से यहां लाया गया था। बाघिन टी-1 पर एमराल्ड जंगल, रिटर्न ऑफ द टाइगर्स नाम की दो अंतरर्राष्ट्रीय फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म को अंतरर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल-2022 के लिए भी चुना गया था।
क्वीन व मदर ऑफ पन्ना टाइगर रिजर्व कहा जाता था
पन्ना में बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत लाई गई बांधवगढ़ की पहली बाघिन की मौत होने से पीटीआर में दुख का माहौल देखा गया है क्योंकि इन्हीं बाघिन से पन्ना का जंगल बाघों से पुनः आबाद हुआ है। इसे क्वीन ऑफ पन्ना टाइगर रिजर्व और मदर ऑफ पन्ना टाइगर रिजर्व भी कहा जाता था। बाघिन टी-1 की वजह से ही पन्ना में लगभग 80 से भी ज्यादा बाघ हैं। बाघिन टी-1 उजड़े हुए पन्ना टाइगर रिजर्व को फिर से बसाने में प्रमुख भूमिका अदा की थी।
एक साथ 3 शावकों को दिया था जन्म
पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी ने बताया कि इस बाघिन को बांधवगढ़ से 4 मार्च 2009 को लाया गया था। बाघिन 5 बार गर्भवती हुई और उसने कुल 13 शावकों को जन्म दिया है। जुलाई 2016 में एक साथ 3 बच्चों को जन्म दिया था।
बाघिन टी-1 पर फिल्म भी बन चुकी हैं
पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन टी-1 पर एमराल्ड जंगल, रिटर्न ऑफ द टाइगर्स नाम की दो अंतरर्राष्ट्रीय फिल्म भी बन चुकी है। इस फिल्म को अंतरर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल-2022 के लिए भी चुना गया था। इसके अलावा बाघिन टी-1 पर करीब 80 मिनट की फिल्म मुंबई के डायरेक्टर सोमेखी लेखी के निर्देशन में बनाई गई थी।
इस फिल्म को पूरे एक साल तक अलग-अलग लोकेशन में शूट किया गया था। बाघिन टी-1 पर बनी फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई कि कैसे इस बाघिन ने बाघों के संसार को बढ़ाया और उसे कैसे-कैसे संघर्षों से झूझना पड़ा। बाघिन की दोनों मादा संताने पी-151 व पी-141 और उनके शावकों पर फिल्माया गया है।
प्रबंधन नहीं चला मौत का पता
बाघों के गले में रेडियो कलर होने के बाद भी पार्क प्रबंधन को मौत का पता नहीं चल पाना एक बड़ी लापरवाही को उजागर कर रहा है। जंगल में लकड़ी बीनने गए मजदूरों ने बाघिन की मौत की जानकारी दी। जबकि, मैदानी अमला बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में तैनात है।
2 माह में पन्ना के तीन टाइगर की मौत गंभीर चिंता का विषय इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों को हिला कर रख दिया है। हालांकि पन्ना टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा इस घटना को नेचुरल मौत का अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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