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कोहेफिजा में 7 करोड़ से बना एसटीपी, फिर भी बड़ी झील में मिल रहा सीवेज

जिन झीलों से भोपाल की पहचान, उसी की कद्र नहीं : ऑडिट में सीवेज प्रोजेक्ट पर लगाई गई थी आपत्ति

शाहिद खान भोपाल। राजधानी की बड़ी झील सिस्टम की नाकामी की वजह से साल दर साल प्रदूषित होती जा रही है। पानी में सीवेज जहर की तरह घुल रहा है। ये हाल तब है, जबकि झील में सीवेज मिलने से रोकने के लिए करोड़ों की लागत से उसके किनारों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए हैं। इन्हीं में से एक एसटीपी वीआईपी रोड किनारे कोहेफिजा में शिरीन नदी पर बना है। करीब 7 करोड़ रुपए लागत से बने इस एसटीपी की क्षमता 5 एमएलडी है। दावा है कि एसटीपी से क्लोरीन युक्त ट्रीटेड वॉटर झील में छोड़ा जाता है, जबकि 2022 में की ऑडिट रिपोर्ट कहती है कि इससे 12 एमएलडी अनट्रीटेड सीवेज झील में उड़ेला गया है। दरअसल, शहर में चल रहे करीब 500 करोड़ रुपए लागत वाले सीवेज प्रोजेक्ट पर ऑडिट ने आपत्ति लगाई है। साथ ही निगम को रिपोर्ट भेजकर जवाब तलब किया है। इसमें कहा गया है कि नगर निगम गंदे पानी को जलस्रोतों में मिलने से रोकने में नाकाम साबित हुआ है।

5 एमएलडी के एसटीपी में 17.5 एमएलडी सीवेज फ्लो

ऑडिट ने प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग करने वाली एजेंसी वेपकास पर भी सवालिया निशान लगाया है। ऑडिट में कहा गया कि शिरीन नदी पर 5 एमएलडी का एसटीपी बनाया गया है, जबकि सीवेज फ्लो 17.5 एमएलडी है। ऐसे में करीब 12 एमएलडी सीवेज बगैर ट्रीटमेंट बड़ी झील में मिल रहा है।

आपत्तियों के बावजूद बनाया गया एसटी

पीएसटीपी को प्लान करते वक्त भविष्य में सीवेज उत्पादन और एसटीपी की क्षमता का खयाल रखे बिना एसटीपी डिजाइन की गई। लिहाजा लगभग 18 एमएलडी सीवेज फ्लो के बाद भी महज 5 एमएलडी एसटीपी प्लान किया गया। जबकि, इस मामले में कई एन्वायरमेंट एक्टीविस्टों ने आपत्ति दर्ज कराई थी।

सच्चाई : काम नहीं आएंगे एसटीपी, लगाने होंगे ईटीपी

पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि 2013-14 में एनजीटी ने बड़ी झील में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए आदेश दिए। इस पर काम शुरू हुआ, तब हमने इफ्लूलेन्ट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाने का सुझाव दिया था। घरेलू सीवेज ट्रीटमेंट के लिए एसटीपी नहीं, बल्कि इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) की जरूरत है। एनजीटी ने भी ईटीपी लगाने की ही सलाह दी थी।

बड़े तालाब में 10 नाले

तालाब में करीब 10 से अधिक स्थानों पर नाले नालियों के माध्यम से सीवेज मिल रहा है। तालाब में शिरीन नाला अहमदाबाद पैलेस के पास, करबला के पास, खानूगांव, बोरवन, सीहोर नाका सहित बैरागढ़ के आठ नाले सीधे तालाब में मिलते हैं।

छोटे तालाब में 27 नाले

दो सदी पुराना छोटा तालाब सीवेज टैंक में तब्दील हो चुका है। इसमें करीब 27 नाले सीधे मिलते हैं। इन्हें रोकने भोजवेटलैंड प्रोजेक्ट के तहत करीब 58 करोड़ रुपए खर्च हो चुके है, लेकिन, हालात नहीं बदले हैं।

मोतिया तालाब में गंदा पानी

मोतिया तालाब में बाबे आली, ईदगाह हिल्स और बेनजीर पैलेस के साथ ही आसपास का पानी नाले के जरिए मिलता है। यह पानी सीवेज में तब्दील हो चुका है।

सिद्दीक हसन तालाब

इसमें दो दर्जन से ज्यादा अस्पतालों का सीवेज सीधे मिलता है। साथ ही आसपास की करीब एक लाख आबादी का सीवेज नाले के जरिए सीधे तालाब में पहुंचता है।

शिरीन एसटीपी को लेकर ऑडिट की क्या आपत्ति आई है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। ऑडिट रिपोर्ट देखने और संबंधित अधिकारियों से चर्चा करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा। – शाश्वत मीणा, अपर आयुक्त, नगर निगम

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