
आज के समय में लेबनान के हाल बहुत खस्ता हो चुके हैं। हिजबुल्लाह का गढ़ होने के कारण और हिजबुल्लाह-इजराइल की दुश्मनी के बीच लेबनान बुरी तरह पिस रहा है। कभी लेबनान को अरब देशों का स्विट्जरलैंड कहा जाता था लेकिन अभी इसकी माली हालत खराब होती जा रही है। कभी जीसस ने इसी जमीन पर अपना पहला चमत्कार किया था, तो कभी फ्रांस ने इस पर अपना कब्जा जमाया, जिसका असर आज भी वहां कि संस्कृति और भाषा में मौजूद है। आखिर किसकी कीमत चुका रहा है लेबनान। धार्मिक-आर्थिक कारणों से 1970-80 के दशक में उपजे गृहयुद्ध, फिलिस्तीन के शरणार्थियों को पनाह देना या सभी अरब देशों में सिर्फ लेबनान का इजराइल के खिलाफ साथ देना उसकी बर्बादी का कारण है।
आइए 10 पॉइंट्स में जानते हैं लेबनान के इतिहास के बारे में…
- लेबनान दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है। 217 किलोमीटर लंबे और 56 किलोमीटर चौड़े इस देश की आबादी तकरीबन 55 लाख है। पहले विश्वयुद्ध में तुर्कों के हारने के बाद 1916 में पश्चिमी देशों ने मिडिल ईस्ट की सीमाओं को अपनी मर्जी और अपने हितों के मुताबिक बांटना शुरू किया।
- लेबनान को 1943 में आजादी मिली। तब तय हुआ कि लेबनान का राष्ट्रपति ईसाई होगा क्योंकि तब वह बहुलता में थे। आज यहां ईसाइयों की आबादी घटकर 32 प्रतिशत रह गई है, जो आजादी के समय 51 प्रतिशत हुआ करती थी। यहां अब शिया मुस्लिम की आबादी 31 प्रतिशत और सुन्नी मुस्लिम की आबादी 32 प्रतिशत है।
- लेबनान 1960 के दशक में आर्थिक तरक्की की ओर अग्रसर हुआ। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान लेबनान की प्रति व्यक्ति आय में लगभघ 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, यह 1955 के आसपास की बात है। इसी बीच मिस्र, सीरिया और इराक में चल रहे राजनीतिक अस्थिरता के कारण इन देशों के व्यापारियों ने लेबनान को चुना। वह अब लेबनान में आकर व्यापार करने लगे, जिससे लेबनान की आर्थिक तरक्की होनी शुरू हुई। यह वही दौर था जब लेबनान को अरब देशों का स्विट्जरलैंड कहा जाने लगा।
वर्ल्ड मैप पर लेबनान - 1970-80 के दशक में लेबनान गृह युद्ध की चपेट में आ गया। इसकी तीन मुख्य तीन वजहें रहीं। पहला धार्मिक कारण, जिसमें ईसाई समुदाय के लोगों का बड़े पदों पर दखल ज्यादा था। दूसरा आर्थिक कारण, जिसमें ईसाइ समुदाय का आर्थिक वर्चस्व बढ़ता गया और शिया-सुन्नी मुसलमान गरीब होते गए। तीसरा कारण यह था कि लेबनान का फिलिस्तीनियों और सुन्नी मुस्लिमों को शरण देना, जिससे ईसाई समुदाय खासा नाराज हुआ।
- लेबनान पर रोमन, ग्रीक, तुर्क और फ्रांसीसियों ने राज किया। सीरिया पर फ्रांस ने भी कब्जा किया। फ्रांस ने ही 1920 में सीरिया के पश्चिमी हिस्से को काटकर लेबनान बनाया। इसी कारण लेबनान पर फ्रांस के कल्चर का असर अब तक बरकरार है। यहां अरबी भाषा के साथ ही अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा बोली जाती है।
- बाइबिल में दर्ज है कि लेबनान की जमीन पर ही जीसस ने अपना पहला चमत्कार किया था, जहां उन्होंने एक शादी में पानी को वाइन में बदल दिया था।
- जीसस को जब मारने की कोशिश की गई तब उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ इसी देश की राजधानी में बनी एक गुफा में शरण ली थी। आज बेरुत पर हिजबुल्लाह का कब्जा हो चुका है।
- आज के समय में लेबनान अरब देशों (सऊदी अरब, मिस्र और सीरिया) में अकेला है जो फिलिस्तीन के लिए लड़ रहा है। इसके चलते अब तक यहां 700 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
- साल 1943 में लेबनान को फ्रांस से आजादी मिली। लेबनान की आजादी के 4 साल बाद ही 1947 में इजराइल बना। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच उपजे संघर्ष के बाद से ही लेबनान फिलिस्तीनी शरणार्थियों का गढ़ बन गया।
- इसी वजह से लेबनान शुरुआत से ही इजराइल और फिलिस्तीन की जंग में पिस रहा है। आज यह हिजबुल्लाह संगठन का गढ़ बना हुआ है जो इजराइल का कट्टर दुश्मन है।
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