भोपालमध्य प्रदेश

यूक्रेन से लौटै छात्रों का दर्द : खेत बेचकर डॉक्टरी पढ़ने गए थे, जान तो बची गई पर सपना टूटा, बीड़ी बनाकर हो रही गुजर-बसर

दो छात्रों ने की जान देने की कोशिश, सरकार से मदद की गुहार लगा रहे परिवार

प्रवीण श्रीवास्तव, भोपाल
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को 6 महीने हो चुके हैं। वहां पढ़ रहे हजारों मेडिकल स्टूडेंट्स जान बचाकर भाग तो आए हैं, लेकिन यहां भविष्य अंधकार में है। एक तरफ नेशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) से राहत नहीं मिली, वहीं कोर्ट में चल रहा मामला भी आगे बढ़ रहा है। अपने भविष्य को देख छात्र मानसिक तनाव में हैं। दरअसल, यूक्रेन गए छात्रों में से अधिकतर मध्यमवर्गीय और गरीब परिवार से हैं। बच्चों को डॉक्टर बनाने के लिए किसी के मां-बाप ने खेत बेचा तो किसी ने बच्चों के सपनों के लिए लाखों रुपए का कर्ज लिया। युद्ध लंबा खिंचने से छात्र और उनका परिवार मानसिक तनाव में है। हालात यह हैं कि दो छात्र आत्महत्या की कोशिश का चुके हैं। कई छात्र और उनके परिवार बीड़ी बनाने या मजदूरी कर गुजर-बसर कर रहे हैं।

सरकारी कॉलेज नहीं मिला, प्राइवेट की हैसियत नहीं थी तो यूक्रेन गया

उत्तर प्रदेश के कन्नौज निवासी मोहम्मद अकील राजा कहते हैं- मैंने 2019 में नीट पास किया और 540 का स्कोर किया। इन नंबरों के बावजूद कोई सरकारी कॉलेज नहीं मिला और निजी में जाने की हैसियत नहीं थी। मैंने यूके्र न जाने का फैसला किया, लेकिन पैसे नहीं थे। पिताजी ने खेत बेचकर यूक्रेन जाने की व्यवस्था की। छह महीने से मैं यहां हूं। दो साल में करीब 15 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। अब परिवार के पास कमाई का कोई जरिया नहीं है। मैं और परिवार के अन्य सदस्य बीढ़ी बनाकर काम चला रहे हैं।

तनाव में आत्महत्या की कोशिश

धार निवासी हर्ष का बताते हैं- मैं और मेरा दोस्त धीरेंद्र, धार जिले के छोटे से गांव के रहने वाले हैं। हमारे पिता किसान हैं। नीट के बाद जब यहां सरकारी कॉलेज नहीं मिले तो हमने यूके्रन की कीव यूनिवर्सिटी में आवेदन किया। दाखिला होने पर फीस के लिए पैसों की व्यवस्था के लिए धीरेंद्र के परिवार को खेत और मकान दोनों बेचने पड़े। अब सरकार भी मदद नहीं कर रही। परिवार मुश्किल हालात में है। धीरेंद्र का परिवार की इस दशा के लिए खुद को जिम्मेदार मानता है। मानसिक तनाव के चलते वह सुसाइड की कोशिश कर चुका है। वह तो गनीमत थी की समय पर उसे अस्पताल ले गए और उसकी जान बच गई।

18 लाख का लोन लिया, अब चुकाने की चिंता

भोपाल के सुमित वर्मा ने बताया कि यूक्रेन से पढ़ाई के लिए 18 लाख रुपए का एजुकेशन लोन लिया था। अब तक कोर्स पूरा नहीं हो सका। अब चिंता यह है कि यदि कोर्स देरी से पूरा होता है तो जॉब भी देरी से मिलेगी। लोन चुकाना भी मुश्किल होगा। सरकार से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। हम गांव या अन्य अस्पताल में जाकर क्लीनिकल सब्जेक्ट पढ़ना चाहते हैं, लेकिन इसकी अनुमति भी नहीं मिल रही। मानसिक तनाव इतना है कि कई बार गलत ख्याल भी आते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आगे बढ़ी

मामले को लेकर कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी लगाई थी। गुरुवार को इस पर सुनवाई भी हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। अब आगे की सुनवाई 5 सितंबर को होगी। इधर, छात्रों का कहना है कि मामले का जल्द कोई हल नहीं निकला तो हजारों छात्रों का भविष्य खराब हो जाएगा।

इस मामले पर विचार चल रहा है। केंद्र सरकार और नेशनल मेडिकल काउंसिल से जो भी दिशा निर्देश मिलेंगे, उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
-विश्वास सारंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, मध्यप्रदेश 

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