
पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की बागडोर 13 दिसंबर 2023 को संभाली। मुख्यमंत्री बनने के दिन से 21 अगस्त तक उनके कार्यकाल को 252 दिन हुए। इस दौरान अकेले आईएएस अफसरों के तबादलों, अतिरिक्त प्रभार देने, प्रभार बदलने और आदेश निरस्त करने के मामले में हर दिन औसतन एक आईएएस प्रभावित हुआ। आधा दर्जन ऐसे अफसर भी हैं जिनके तबादले प्रभार संभालने के पहले ही निरस्त हो गए। जिलों के कुछ कलेक्टर तीन से चार माह ही ठहर पाए। भाजपा सरकार बनने के दूसरे दिन से आईएएस अफसरों को हटाने और पदस्थ करने की कार्रवाई प्रारंभ हुई जो अब तक अभी तक जारी है।
ये अफसर अधिक बार बदले
प्रशासनिक सर्जरी में करीब तीन दर्जन अफसर हैं जिनके विभाग बार-बार बदले गए या उन्हें अतिरिक्त प्रभार मिला और कुछ दिन बाद फिर प्रभार हटा दिया इनमें एसीएस विनोद कुमार, एसीएस जेएन कांसोटिया, एसीएस डॉ. राजेश राजौरा, एसएन मिश्रा, अजीत केसरी, प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह, विवेक पोरवाल, संदीप यादव, पीएस संजय शुक्ला, निकुंज श्रीवास्तव, दीपाली रस्तोगी, अमित राठौर, संजय दुबे, मनीष रस्तोगी, मनीष सिंह, उमाकांत उमराव डीपी आहूजा, संजय गुप्ता आदि हैं।
झा और सिंह 5 माह ही टिके
आयुक्त चंबल संजीव झा, आयुक्त खाद्य रवीन्द्र सिंह को पांच माह, स्वतंत्र कुमार सिंह आयुक्त वाणिज्यिक कर को तीन माह में हटा दिया।
24 घंटे में इनके निरस्त हुए आदेश
- अरुण कुमार परमार को पहले सिंगरौली कलेक्टर पद से हटाकर उप सचिव एनवीडीए बनाया, वे प्रभार संभाल पाते कि अपर आयुक्त रीवा संभाग बना दिया गया।
- पंचायत एवं ग्रामीण विकास में सचिव धनंजय भदौरिया को एमडी मंडी बोर्ड बनाया, लेकिन 24 घंटे पूरे होने के पहले आदेश निरस्त कर दिया गया। इन्हें अगले दिन के आदेश में आयुक्त अनुसूचित जाति बना दिया।
- अपर आयुक्त राजस्व रीवा छोटे सिंह का तबादला भी 24 घंटे में निरस्त किया गया।
इन अफसरों पर नहीं आई तबादलों की आंच
पीएस शिव शेखर शुक्ला तीन साल से अधिक समय से पर्यटन और संस्कृति विभाग संभाल रहे हैं। एसीएस मलय श्रीवास्तव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई भी नगरीय विकास एवं विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
बार-बार हटाने से परफॉर्मेंस नहीं दिखा पाते अफसर
प्रशासनिक अस्थिरता भौतिक लक्ष्यों को प्रभावित करती है। यह भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली में अस्थिरता है। बार-बार तबादले होने से अफसर ठीक से अपना परफॉर्मेंस भी नहीं दे पाएंगे। इससे काम भी प्रभावित होता है। – मुकेश नायक, प्रदेश मीडिया प्रभारी,कांग्रेस
अधिकारियों के पदस्थापना की न्यूनतम सीमा नहीं होती
शासन अपनी आवश्यकतानुसार और जनहित में वरिष्ठ अधिकारियों की पदस्थापना को देखता है। इसमें अधिकतम सीमा 3-4 साल तो हो सकती है लेकिन न्यूनतम कुछ भी नहीं। जनसेवा और जवाबदेह प्रशासन, उनकी सेवाओं का मुख्य आधार और सूत्र है। -डॉ. हितेश वाजपेयी, प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा
अफसरों को हटाना और रखना कोई नई बात नहीं है। कई बार गलत ऑर्डर हो जाते हैं जिन्हें सुधारा जाता है। हटाने के कुछ तो कारण होते हैं। ये सही है कि कई बार गलत तबादले हो जाते हैं, अधिकांश सही होते हैं। -अवनि वैश्य, पूर्व मुख्य सचिव