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जिन बहनों के भाई नहीं, ग्वालियर का मामा पहना रहा भात

समाजसेवी की अनूठी पहल, शादियों में भाई की तरफ से किए जाने वाले रिवाज को कर रहा पूरा

ग्वालियर। शादियों का सीजन चल रहा है। इस पवित्र बंधन में कई रस्में निभाई जाती हैं, लेकिन इनमें से एक महत्वपूर्ण रस्म ‘भात’ की होती है। ऐसे में जिन बहनों का भाई नहीं होता है, उनके लिए सबसे बड़ा संकट भात पहनाने वाले का होता है। यह रस्म दुल्हा-दुल्हन के मामा द्वारा पूरी की जाती है। ऐसी बहनों की समस्या को देखते हुए शहर के कारोबारी ने भात पहनाने की समाज सेवा शुरू की है। शहर के कारोबारी गणेश समाधिया ऐसी बहनों के यहां अपनी ओर से भात पहनाते हैं। उन्होंने इसी वर्ष यह अनूठी पहल शुरू की है। देवउठान एकादशी से लेकर आधा दर्जन से अधिक शादियों में मामा का फर्ज निभा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि वह एक शादी में गए थे, जहां पर लोगों के बीच इस प्रकार की चर्चा चल रही थी कि इनके पास पैसा तो बहुत है, लेकिन भात पहनाने का भाई नहीं है। उसी समय से मन खयाल आया कि बुजुर्गों एवं गरीबों के लिए बहुत से लोग काम करते हैं, पर यह भी समाज सेवा का एक अच्छा जरिया हो सकता है। वह जहां भी भात देने जाते हैं, वहां अन्य लोगों को इसके बारे में जानकारी देते हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया से प्रचार-प्रसार कर अपना नंबर प्रसारित करते हैं। ताकि, ऐसी बहनों के लिए रस्म पूरी कर सकें।

भात का बजट 15,000 रुपए फिक्स

बच्चियों के लिए सालों से काम करने वाले समाधिया ने बताया कि वह कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं, लेकिन भात देने का काम वे अपनी ओर से करते हैं। एक भात के लिए उन्होंने बजट भी फिक्स किया है। चाहे गरीब के यहां हो या फिर अमीर के यहां, भात में 10 से 15 हजार रुपए तक ही दिए जाएंगे। इसमें दुल्हा-दुल्हन, माता-पिता के भी कपड़े और अन्य रिश्तेदारों को अंक माला के तौर पर गिलास, अन्य वस्तुएं और नकद रुपए शामिल हैं।

(इनपुट-राजीव कटारे)

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