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भोपाल के संग्रहालयों में सहेजी जाएगी पड़ोसी राज्यों की लोक कला व संस्कृति

इंटरनेशनल म्यूजियम डे आज: शहर के संग्रहालयों में होंगे अलग-अलग आयोजन

संग्रहालय हमें अपने अतीत से जोड़कर रखते हैं। यह जगह उस समय का दस्तावेजीकरण होती है जो पीछे तो छूट गया, लेकिन मानव सभ्यता के क्रमिक विकास की कड़ी में हमेशा हमारे जानने के लिए जरूरी रहेगा क्योंकि यहीं हमारी जड़े हैं। यही वजह है कि भोपाल शहर के संग्रहालयों में भी देश की कला संस्कृति व लोक जनजीवन की उन विलुप्त होती धरोहरों को सहेजने का काम लगातार चलता रहता है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए हो सकता है कि सिर्फ संग्रहालय में ही देखने को मिलें। ऐसा ही कुछ काम फिलहाल दो संग्रहालयों में चल रहा है। इसके अलावा मप्र जनजातीय संग्रहालय व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय नई दिल्ली में 18 मई से शुरू होने वाले इंटरनेशनल म्यूजियम एक्सपो में मप्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

वट वृक्ष पर दिखेंगी विभिन्न लोक कलाएं

मप्र जनजातीय संग्रहालय में बरगद के पेड़ की प्रतिकृति को आकार दिया जा रहा है। यह एक का ऐसा पेड़ होगा जिसमें प्रदेश के पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान , गुजरात, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जनजातीय जीवन, स्थापत्यों की प्रतिकृति, कला पक्ष को अभिव्यक्त किया जाएगा। इसे एक गैलेरी में प्रस्तुत किया जाएगा जहां विभिन्न देशों की ट्राइबल लाइफ को समझने के लिए संग्रहालय के एक्सपर्ट्स ने रिसर्च की है। इस गैलेरी को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि बीच हिस्से का वट वृक्ष सब कुछ अपने आप में समेटे हुआ सा लगेगा। इसकी शाखाओं पर दर्शक ट्राइब्स के ट्रेडिशन को देख सकेंगे। इसे बनने में एक साल का समय लगेगा।

विवाह व प्रजनन पर आधारित वारली चित्र

वारली जनजाति महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कुछ भागों में निवासरत तथा गुजरात के वलसाड़ जिले ओर केन्द्र शासित प्रांतों दादर और नगर हवेली तक विस्तृत एक जनजातीय समूह है। वारली शब्द ‘वारूल’ से लिया गया है जिसका अर्थ है भूमि का टुकड़ा। वारली जनजाति अपनी चित्रकला के लिए प्रसि़द्ध है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के वीथि संकुल में इस चित्रकला पर काम कराया गया है। संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक शर्मा ने बताया कि हमने वारली कलाकारों को बुलाकर यह काम कराया है। चित्रों में चौक का चित्रण कराया गया है जिसके बिना विवाह सम्पन्न नहीं होता। नवयुगल को प्रजनन का आशीर्वाद देते चित्र भी इसमें हैं।

संग्रहालय दिवस पर होंगे कार्यक्रम

बिड़ला संग्रहालय में फोटोप्रदर्शनी: जीपीबिड़ला संग्रहालय में उज्जयिनी के स्थापत्य साक्ष्यों पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल केसहयोग से आयोजित की जा रही है। जिसे 18 से 25 मई तक दर्शक सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक देख सकते हैं।

साइंस सेंटर में एग्जीबिशन : रीजनल साइंस सेंटर में आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया और मानव संग्रहालय के सहयोग से भीमबेटका व सांची पर आधारित पैनल एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा यहां प्री-हिस्टोरिक एरा केटूल्स भी देखे जा सकेंगे। इसे दर्शक दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक देख सकेंगे।

दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय : दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में समाज और मीडिया विषय पर संगोष्ठी व दुर्लभ पुस्तकों की प्रदर्शनी दोपहर 12 बजे से।

सप्रे संग्रहालय में दुर्लभ सामग्रियों की प्रदर्शनी आज से : माधवराव सप्रे संग्रहालय में 10 दिवसीय विशेष प्रदर्शनी लगने जा रही है। प्रदर्शनी का अवलोकन 25 मई तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक किया जा सकता है। यहां दुर्लभ सामग्री जैसे ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी समाचार पत्रों, पोथियों, सिक्कों, डाक टिकटों व ग्रंथों को प्रदर्शित किया जा रहा है।

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