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अरेरा हिल्स को दिल्ली के सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर बनाने सर्वे शुरू, सतपुड़ा का रिनोवेशन रुका

इधर, राज्य पर 3.90 लाख करोड़ का कर्ज, उधर, करोड़ों की बिल्डिंग्स तोड़ने का प्लान

पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अरेरा हिल्स को दिल्ली के सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर विकसित करने पर जोर दिया है। इसको लेकर बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन-बीडीसी के अफसर सक्रिय हो गए हैं। सर्वे शुरू हो गया है वहीं सतपुड़ा भवन के रिनोवेशन के लिए 137 करोड़ के हुए ठेके को पेंडिंग कर दिया है। उधर, विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं कि सरकार पर 3.90 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है, इसके बाद भी बनी बनाई बिल्डिंग्स को तोड़ने के प्लान से करोड़ों रुपए की बर्बादी होगी।

बीडीसी ने सतपुड़ा भवन को तोड़कर नई बिल्डिंग बनाने संबंधी मुख्यमंत्री को प्रेजेंटेशन दिया। बीडीसी ने 750 करोड़ रुपए खर्च आना बताया। सीएम चाहते हैं कि दिल्ली के सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर पूरे अरेरा हिल्स क्षेत्र को विकसित किया जाए। सभी एचओडी स्तर के दμतर यहीं बनें ।

सवाल: कैसे होगी प्लानिंग

  • अरेरा कॉलोनी के इस क्षेत्र में 50 से अधिक विभिन्न बड़े विभागों के भवन हैं।
  • यहीं पर बैंकों के मुख्यालय, केंद्र सरकार के अन्य कार्यालय भी हैं।

अरेरा हिल्स में अधिकांश बड़े भवन मौजूद

पूरे अरेरा हिल्स क्षेत्र को विकसित करने को प्रश्न उठने लगे हैं कि यहां जिला अदालत है, महिला एवं बाल विकास विभाग, पीडब्ल्यूडी, औद्योगिक विकास निगम, सैल टैक्स ऑफिस, एमपीआरडीसी, मौसम भवन, राज्य निर्वाचन आयोग, सूचना आयोग, पर्यावास भवन और एनजीटी के अलावा 50 से अधिक विभिन्न बड़े विभागों के भवन हैं। यहीं पर बैंकों के मुख्यालय, केंद्र सरकार के अन्य कार्यालय, सेंट्रल स्कूल, कॉलोनी, झुग्गी बस्ती आदि भी हैं। इन सभी संस्थाओं और कॉलोनियों को हटाने के लिए मप्र सरकार को निर्माण से ज्यादा करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ेंगे।

और यहां 83 दिन में मध्यप्रदेश सरकार ने हर दिन लिया 253 करोड़ रुपए का कर्ज

इधर, राज्य सरकार पर 3 लाख 90 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है। यह कर्ज राज्य में प्रति व्यक्ति बढ़कर 53 हजार रुपए हो गया है। राज्य सरकार वर्ष 2024 में अगस्त से अब तक 15 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। इसके बाद 22 अक्टूबर को और छह हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। इस मान से करीब 83 दिन में हर दिन 253 करोड़ रुपए कर्ज लिया जा रहा। वित्त विभाग के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि सरकार द्वारा कर्ज लेना एक प्रक्रिया है। सरकार लिमिट में ही कर्ज ले रही है।

सबसे ज्यादा खर्च इन मदों में : इस समय प्रदेश के बजट का बड़ा हिस्सा वेतन- भत्तों, जनकल्याणकारी योजनाओं और अधोसंरचना विकास पर खर्च किया जा रहा है। लाड़ली बहना योजना पर हर माह 1,600 करोड़ रुपए खर्च हो रहे। बिजली सब्सीडी, किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज, किसान सम्मान निधि, पेंशन, छात्रवृत्ति सहित अन्य दर्जनों मद है जिसमें सरकार को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

सतपुड़ा और विंध्याचल पर रहेगा फोकस

विभागीय सूत्र बताते हैं कि सतपुड़ा और विंध्याचल भवन क्षेत्र को फोकस करते हुए प्लान तैयार होगा। दोनों भवनों के आसपास बड़ी मात्रा में जगह खाली है। अधिकांश जगह पर जंगल विकसित है। बीडीसी ने सर्वे प्रारंभ कर दिया है और आठ-दस दिन में कच्चा प्रस्ताव मुख्य सचिव को प्रस्तुत किया जा सकता है। सर्वे के साथ सभी एचओडी से पूछा जा रहा है कि क्या वे सेंट्रल विस्टा में आने के इच्छुक हैं। दोनों भवनों के कुल एरिया पर भी सर्वे किया जा रहा है।

प्लानिंग अच्छे से की जाए

प्रस्तावित 2047 तक की विकास योजना लगभग 50 लाख की आबादी के लिए बनेगी। इसके लिए विश्वस्तरीय अनुभवी टाउन प्लानर्स की आवश्यकता होगी, आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के विकास का प्लान इसका अच्छा उदाहरण है। गुड गवर्नेंस के अभाव में सरकारों को कर्ज लेना पड़ता है। -मनोज सिंह मीक,अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल

पहले सर्वे का काम शुरू करेंगे

अभी कांक्रीट कुछ नहीं है। सेंट्रल विस्टा की तर्ज पर भवन बनाने के लिए पहले सर्वे प्रारंभ करेंगे, संबंधित एचओडी से पूछा जाएगा, फिर जीएडी के माध्यम से प्लान बनाएंगे। मुख्य सचिव के ध्यान में लाने के बाद योजना बनेगी। -केसी गुप्ता, एसीएस, पीडब्ल्यूडी

सरकार उधार का घी पी रही है

सरकार बार-बार कर्ज लेकर आम जनता को और कर्जदार बना रही है। मंत्रियों के बंगले चमकाए जा रहे हैं, निवेश के नाम पर कॉन्क्लेव और रोड शो में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मंहगा विमान खरीदा जा रहा है। -मुकेश नायक, प्रदेश कांग्रेस मीडिया अध्यक्ष

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