सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में SC-ST के लिए पदोन्नति में आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार कर दिया है। SC ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसलों में जो आरक्षण के पैमाने तय किए हैं, उनमें हम छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा – केंद्र और राज्य SC-ST कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले मात्रात्मक डेटा एकत्र करें। हम इसके लिए अपनी तरफ से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। इससे पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है।
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हम कोई मानदंड नहीं निर्धारित कर सकते
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। एक निश्चित अवधि के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। यह समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। कैडर आधारित रिक्तियों के आधार पर आरक्षण पर डेटा एकत्र किया जाना चाहिए।
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एम नागराज फैसले में कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वे एम नागराज केस में संविधान बेंच के फैसले में बदलाव नहीं कर सकते हैं।
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26 अक्टूबर को रखा था फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच में तमाम पक्षकारों की ओर से दलील पेश की गई थी। इस दौरान राज्य सरकारों की ओर से पक्ष रखा गया था जबकि केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने दलील पेश की। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।