नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेगासस जासूसी केस की जांच एक्सपर्ट कमेटी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है और जांच करने के लिए 8 सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि लोगों की जासूसी किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं की जा सकती। वहीं इससे पहले चीफ जस्टिस एनवी रमण, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने 13 सितंबर को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं।
सच्चाई की जांच के लिए कमेटी का गठन: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेगासस की सच्चाई की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजता के अधिकार के उल्लंघन की जांच होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के नागरिकों की निगरानी में विदेशी एजेंसी की संलिप्तता एक गंभीर चिंता का विषय है।
8 सप्ताह बाद होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर केंद्र द्वारा कोई विशेष खंडन नहीं किया गया, इस प्रकार हमारे पास याचिकाकर्ता की दलीलों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, हम एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त करते हैं जिसका कार्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है। एक्सपर्ट कमेटी में तीन सदस्य होंगे। तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे, वहीं अन्य सदस्य संदीप ओबेरॉय और आलोक जोशी होंगे। साथ ही मामले की सुनवाई 8 सप्ताह के बाद तय कर दी है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में 13 सितंबर को हुई थी सुनवाई
इससे पहले पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 13 सितंबर को सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने साफ कर दिया था कि वह इस मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने जा रही है। सरकार ने कहा था कि यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है, इसलिए हलफनामा दाखिल नहीं कर सकते। लेकिन वह जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पैनल गठित करने के लिए राजी है।
क्या है मामला
पेगासस जासूसी मामले में निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं दायर की गई थीं। ये याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एन राम, सांसद जॉन ब्रिटास और यशवंत सिन्हा समेत कई लोगों ने दायर की थीं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने खबर दी थी कि करीब 300 प्रमाणित भारतीय फोन नंबर हैं, जो पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाना थे।