
नई दिल्ली। मशहूर बिजनेसमैन और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी और मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया है। राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर सुधा मूर्ति ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि वे फिलहाल भारत में नहीं हैं, लेकिन यह उनके लिए महिला दिवस का एक बड़ा उपहार है और पीएम का शुक्रिया अदा किया। वहीं पीएम मोदी ने कहा कि, राज्यसभा में उनकी मौजूदगी नारी शक्ति का शक्तिशाली प्रमाण है।
I am delighted that the President of India has nominated @SmtSudhaMurty Ji to the Rajya Sabha. Sudha Ji's contributions to diverse fields including social work, philanthropy and education have been immense and inspiring. Her presence in the Rajya Sabha is a powerful testament to… pic.twitter.com/lL2b0nVZ8F
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2024
कंपनी शुरू करने के लिए पति को दिए थे 10 हजार रुपए
सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष होने के साथ-साथ मशहूर लेखिका भी हैं। सुधा मूर्ति ने ही 1981 में इंफोसिस की शुरुआत के दौरान पति एन आर नायारण मूर्ति को 10 हजार रुपए के उधार दिए थे। इंफोसिस आज भारत की टॉप-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल है। टाटा ग्रुप की TCS के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी टेक कंपनी है। इसका कारोबार अमेरिका, इंग्लैंड सहित कई देशों में हैं। इंफोसिस का मार्केट कैप 6 लाख 69 हजार 920.64 करोड़ रुपए है। नारायण मूर्ति ने 1981 में अपने 6 साथियों के साथ मिलकर इंफोसिस की शुरुआत की थी। सुधा मूर्ति कई इंटरव्यू में बता चुकी है कि जब नारायण मूर्ति ने कंपनी शुरू करने का प्लान बनाया था, तब वे एक कमरे के मकान में रहते थे। कंपनी का नाम इंफोसिस तय हो चुका था, लेकिन पैसों की तंगी बनी हुई थी। नारायण मूर्ति ने अपना हिस्सा देने के लिए पत्नी से उस समय 10,000 रुपए उधार लिए थे।
सुधा ने 30 से ज्यादा किताबें लिखीं
सुधा मूर्ति का जन्म उत्तरी कर्नाटक में शिगांव में 19 अगस्त 1950 को हुआ था। सुधा के पिता का नाम आर.एच कुलकर्णी और माता विमला कुलकर्णी है। सुधा मूर्ति ने विभिन्न शैलियों में 30 से अधिक किताबें लिखी हैं। उनकी किताबें मुख्य रूप से कन्नड़ और अंग्रेजी में हैं, लेकिन उनका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। सुधा बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं। जब वह क्लास में प्रथम आईं तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें पदक से सम्मानित किया।