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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामला, मस्जिद हटाने की मांग वाली याचिका पर 29 फरवरी को अगली सुनवाई

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग वाले वाद की पोषणीयता के संबंध में दायर याचिका पर अगली सुनवाई 29 फरवरी को करेगा। इस वाद में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है। शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के बाद जस्टिस मयंक कुमार जैन ने अगली सुनवाई 29 फरवरी को करने का आदेश दिया।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुई वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता

गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुई वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने दलील दी थी कि यह वाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि वक्फ कानून के प्रावधानों और पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा था कि जिस विवादित संपत्ति पर शाही ईदगाह मस्जिद है, वह संपत्ति वक्फ की है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा विवाद वक्फ की संपत्ति से जुड़ा है और इस प्रकार से इस मामले पर सुनवाई का अधिकार क्षेत्र केवल वक्फ अधिकरण के पास है और दीवानी अदालत के पास इस मामले में सुनवाई का अधिकार क्षेत्र नहीं है।

पिछले वर्ष मई में उच्च न्यायालय ने श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी 15 वादों को सुनवाई के लिए मथुरा की अदालत से अपने पास मंगा लिया था।

मस्जिद के अंदर मंदिर के प्रतीक होने का किया था दावा

याचिका में दावा किया था कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं, जो यह साबित करते हैं। याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद के अंदर एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है, जो हिंदू मंदिर की विशेषता है। साथ ही शेषनाग की छवि है। मस्जिद के स्तंभ पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी मौजूद हैं। मस्जिद कमेटी ने इस याचिका का विरोध किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने विरोध को दरकिनार कर कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था।

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क्या है विवाद ?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद का यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है। इस जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है तो बाकी बचे 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की है और पूरी जमीन उन्हें देने की मांग कर रहा है। वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे से इनकार कर रहा है।

वहीं जानकार दावा करते हैं कि इस विवाद का इतिहास 350 साल पुराना है। साल 1670 में जब दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब का शासन था, उसी दौरान ठाकुर केशव देव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई थी। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के ही अवशेषों का इस्तेमाल किया गया था। यही वजह है मस्जिद में सनातन धर्म के प्रतीक होने का दावा किया जा रहा है।

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