
सूर्यप्रकाश विश्वकर्मा सिवनी। शहर के गंदे नालों से जिला मुख्यालय की जीवनदायनी नदी बैनगंगा अब दूषित पानी में बदल गई है। बैनगंगा शहरी क्षेत्रों के नालों व नदी किनारे हो रही खेती में रासायनिक खाद के उपयोग से दूषित हो रही है। लगातार की जा रही अनदेखी से बैनगंगा नदी अब दूषित नालों की सहायक बनती जा रही है। इसमें कई जगह नाले मिल रहे हैं, जिससे जल प्रदूषित होता जा रहा है। इसे साफ कर स्वच्छ बनाने के प्रयास भी कई बार हुए, लेकिन वे नाकाफी रहे। इसके लिए समिति भी बनाई गई। समिति का मानना है कि इसको स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए हर वर्ग को आगे आना होगा।
579 किमी की नदी वर्धा से मिल हो जाती है प्राणहिता
बैनगंगा मुंडारा गांव के पास एक कुंड से निकलती है। यह सिवनी जिले से होते हुए सीधे संजय सरोवर बांध से जल भराव के बाद गोंदिया तथा चांदा होते हुए वर्धा में मिलती है। दोनों के संगम के बाद इसका नाम प्राणहिता हो जाता है। कन्हान, बावनथड़ी तथा पेंच नदी इसकी सहायक नदियां हैं। बाद में यह गोदावरी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 579 किमी है।
पहले पूरे साल होता था पानी, अब बरसाती नदी
ग्राम परतापुर के ग्रामीण बारेलाल ने बताया कि वे लगभग 58 साल से इस नदी को देख रहे हैं। यहां पहले पूरे साल इतना पानी होता था कि गांव के लोग मवेशियों के साथ घर के उपयोग में भी लेते थे। लेकिन, देखते ही देखते यहां पर पानी की कमी आती जा रही है। परिणाम यह है कि कुछ ही दिनों में नदी सूख जाती है। नदी अब बरसाती बनकर रह गई है।
बैनगंगा नदी से शहर के दो नाले जुड़े हैं, इन्हें बंद किया जाना चाहिए। समिति समय-समय पर बैनंगगा तट लखनवाड़ा में सफाई अभियान चलाकर नदी को साफ सुथरा रखने का प्रयास करती है। – विपिन शर्मा, बैनगंगा सेवा अभियान समिति, सिवनी
बैनगंगा नदी को नालों के प्रदूषण से मुक्त करने के लिए नगरपालिका कार्ययोजना बना रही है, जिसका क्रियान्वयन शीघ्र ही किया जाएगा। – आरके कुवेर्ती, सीएमओ, नगर पालिका, सिवनी