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रियो टिंटो के बाद अब बिड़ला ग्रुप ने बंदर हीरा खदान से खींचे हाथ

भोपाल। जानी-मानी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो के बाद अब मेसर्स ऐस्सल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आदित्य बिड़ला ग्रुप) मुंबई ने छतरपुर के बंदर हीरा खदान से हाथ खींच लिए हैं। इस ग्रुप ने सरकार को पत्र भेजकर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में असमर्थता जताई है और सरेंडर करने की इच्छा जताई है। सरकार ने इस हीरा खदान के लिए वन एवं पर्यावरण सहित तमाम अनुमतियां लाने के लिए तीन वर्ष का समय दिया था, जो जून में समाप्त हो गया। यह हीरा खदान तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय बिड़ला ग्रुप को आवंटित की गई थी।

खनिज साधन विभाग ने बिड़ला के प्रस्ताव को शासन के पास भेज दिया है। सरकार इसे जारी की गई लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) निरस्त करने की कार्रवाई करेगी। सरकार पूरी प्रक्रिया का जल्द ही अनलमेंट (खदान देने के संबंध में अभी तक जो कार्यवाही और प्रक्रिया हुई है, उसे शून्य करना) करेगा। इसके बाद अन्य लेनदारी और देनदारी पर काम होगा।

364 हेक्टेयर में फैली है बंदर हीरा खदान: आदित्य बिड़ला ग्रुप ने अगस्त 2019 में सर्वाधिक बोली लगाकर 364 हेक्टेयर में फैले इस हीरा खदान को लिया था। सरकार ने 19 दिसंबर 2019 को एलओआई जारी किया था। बंदर डायमंड ब्लॉक की अधिकतम बोली बिड़ला ग्रुप द्वारा 30.05 प्रतिशत लगाई गई थी, जो उच्चतम रही। नीलामी प्रक्रिया में अडाणी ग्रुप 30 प्रतिशत अधिकतम बोली लगाकर दूसरे स्थान पर रहा।

इस ब्लॉक में है 34.20 मिलियन कैरेट हीरा भंडार

इस डायमंड ब्लॉक में 34.20 मिलियन कैरेट हीरा भंडार होने की संभावना है, जिसका अनुमानित मूल्य 55 हजार करोड़ रुपए आंका गया था। इसके शुरू होने पर राज्य शासन को इस खदान से लीज अवधि में लगभग 16 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त प्रीमियम के रूप में मिलते। इसके अलावा 6,000 करोड़ रुपए रॉयल्टी के रूप में खनिज मद में प्राप्त होना था। खदान की लीज की अवधि 50 वर्ष के लिए दी गई थी।

2002 में मिली थी रियो टिंटो को अनुमति: बकस्वाहा में रियो टिंटो ने 2002 में रिकोनेंस परमिट पर काम शुरू किया था, जिसके तहत सर्वे किया जा सकता है। 2006 में उसे 5 साल के लिए 950 हेक्टेयर में प्रॉस्पेक्टिंग लायसेंस (पीएल) मिला था। हीरे के कॅमर्शियल खनन के लिए 2008 में कंपनी ने आवेदन किया था, लेकिन खदान क्षेत्र वनभूमि में आने के कारण केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने खनन की अनुमति नहीं दी थी।

पीपुल्स समाचार ने लाखों पेड़ों को बचाने 35 दिन चलाया था अभियान

‘पीपुल्स समाचार’ ने बक्सवाहा के जंगलों को बचाने के लिए 35 दिनों तक लगातार मुहिम चलाई थी। ‘पीपुल्स समाचार’ पत्र ने 30 जून 2021 से 4 अगस्त 2021 तक खबरों के साथ ही पर्यावरणविद् और स्थानीय लोगों के विचारों को शासन और प्रशासन तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई थी।

गिफ्ट की थी प्रोसेसिंग यूनिट और ज्वेलरी

हीरा खनन के क्षेत्र में दुनिया की जानी-मानी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो ने साल 2016 में बकस्वाहा की बंदर हीरा खदान को छोड़ दिया था। खदान छोड़ने के साथ ही उसने बकस्वाहा स्थित 100 कमरे का गेस्ट हाउस, प्रोसेसिंग यूनिट, लगभग 10 हेक्टेयर जमीन और 25.34 कैरेट के हीरे जड़ित हार तथा कर्णफूल सेट सरकार को गिफ्ट किया था। इसके अलावा खदान में कुछ मशीनरी और वाहन भी विभाग को दिए थे। रियो टिंटो ने बंदर हीरा खदान में हीरा खोजने और हीरा प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का काम किया था। इसके अलावा खदान की फेंसिंग भी कराई थी।

कंपनी तीन वर्ष की अवधि में तमाम तरह की वैधानिक अनुमतियां लेने में असफल रही है। कंपनी ने ये लिख कर दिया है कि वह अब इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है। इस प्रस्ताव को शासन के पास भेज दिया गया है। – राजीव रंजन मीना, संचालक, खनिज साधन विभाग मप्र

(इनपुट-अशोक गौतम)

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