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सीधी पेशाब कांड: टेड़ी पड़ गई सियासी चाल, दशमत के बयानों ने बढ़ा दी सरकार की मुश्किल, अब हाईकोर्ट पहुंचेगा मामला

सीधी/भोपाल।  सीधी पेशाब कांड नित नए मोड़ ले रहा है। प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा देने वाले वीडियो के वायरल होने के बाद एक तरफ जहां सड़क से लेकर सदन तक जमकर सियासत हो रही है, वहीं दूसरी तरफ ब्राम्हण और आदिवासी समाज भी सड़कों पर आ गया है। ब्राम्हण समाज दशमत के पल-पल बदलते बयानों के बाद आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने पर विरोध जता रहा है। इधर, सीएम इस कांड के पीड़ित को भोपाल में सीएम हाउस बुलाकर उसके पांव पखारकर माफी मांग चुके हैं, इसके वावजूद आदिवासी संगठन भी जगह-जगह आंदोलन कर रहे हैं।

हाईकोर्ट में दाखिल होगी याचिका

इस मामले में आरोपी प्रवेश शुक्ला के परिजनों की गुहार को अनसुना करने और उसके घर पर बुलडोजर चला देने का मामला हाईकोर्ट जा रहा है। सरकार ने जिस तेजी के साथ वीडियो वायरल होते ही ताबड़तोड़ सख्त कार्रवाई की, वह अब पीड़ित दशमत के पल-पल बदलते बयानों की वजह से सवालों के घेरे में है। ऐसे में ब्राम्हण समाज आऱोपी प्रवेश शुक्ला के परिजनों के पक्ष में खड़ा होने के बादज बुधवार को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करने जा रहा है। इसमें आरोपी के मकान को तोड़ने और उनके परिजनों के साथ किए गए अपराधियों जैसे सलूक को लेकर अदालत से न्याय मांगा जाएगा। गौरतलब है कि सीधी का ब्राम्हण समाज अब तक प्रवेश के पिता को लगभग दो लाख की आर्थिक सहायता दे चुका है।

सरकार से माफी मांगने और NSA  हटाने की मांग

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के सीधी जिलाध्यक्ष राकेश दुबे का साफ कहना है कि इस मामले को लेकर सरकार से ज्यादा पुलिस और प्रशासन का रवैया तल्ख रहा। दुबे के मुताबिक आरोपी पर सख्त कार्रवाई का समाज ने कभी विरोध नहीं किया लेकिन जिस तरह से आरोपी के परिजनों की गुहार अनसुनी कर उनके घर पर बुलडोजर चलाया गया और बारिश के मौसम में बेघरबार कर दिया, वह असहनीय है। यही वजह है कि जब सोमवार को ब्राम्हण समाज का ज्ञापन लेने कलेक्टर बाहर नहीं आए तो समाज के लोगों ने गधे को फोटो पर ज्ञापन चिपका दिया। अब समाज की मांग है कि दशमत के बयान के आधार पर सरकार आरोपी के परिजनों के साथ किए गए व्यवहार पर माफी मांगे और प्रवेश शुक्ला पर लगाए गए NSA को हटाए।

आदिवासी भी उतर गए सड़कों पर

इधर, प्रदेश के अलग-अलग आदिवासी संगठन भी पहले सीधी और उसके बाद इंदौर की घटना के बाद लामबंद हो गए हैं। आदिवासी समाज के संगठन जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें जयस का नाम प्रमुख है। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा का दावा है कि प्रदेश में दो करोड़ की आबादी होने के बाद भी उनके तबके पर अत्याचार की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रहीं। वे कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर विकृत मानसिकता का आरोप लगाते हुए दावा कर रहे हैं कि सियासी दल अब भी आदिवासियों को केवल वोट बैंक समझते हैं।

जयस का कहना है कि आने वाले चुनाव में यह वर्ग दोनों सियासी दलों को बड़ा झटका देगा। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन भी पूरे समय सदन में आदिवासी हित और सीधी कांड गूंजता रहा, जिसके चलते सदन की कार्रवाई हंगामे की भेंट चढ़ गई। ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि अभी आने वाले कुछ दिनो तक तो सीधी कांड की आंच ठंडी होने वाली नहीं है।

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