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जल्लीकट्टू पर नहीं लगेगा बैन : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सदियों से संस्कृति का हिस्सा, नहीं लगा सकते पाबंदी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में हर साल होने वाले खेल जल्लीकट्टू पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा- जब सरकार ने जल्लीकट्टू को संस्कृति का हिस्सा घोषित कर दिया है तो हम इस पर अलग नजरिया नहीं दे सकते। राज्यों को कानून के तहत पशुओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश हैं।

फसलों की कटाई के दौरान होता है जल्लीकट्टू

कोर्ट ने कहा है कि, तमिलनाडु का जानवरों के साथ क्रूरता कानून (संशोधन), 2017 जानवरों को होने वाले दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है। गौरतलब है कि जल्लीकट्टू, जिसे इरुथाझुवुथल भी कहा जाता है, बैलों के साथ खेला जाने वाला खेल है, जिसका आयोजन पोंगल में फसलों की कटाई के दौरान किया जाता है।

इसमें हिस्सा लेने वाले बैलों के साथ क्रूरता का हवाला देते हुए कानून रद्द करने की मांग की गई थी। तमिलनाडु के कानून को संसद से पास पशु क्रूरता निरोधक कानून का उल्लंघन बताया गया था।

8 दिसंबर को सुरक्षित रखा गया था फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 8 दिसंबर 2022 को तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जलीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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