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CAA के खिलाफ दाखिल 237 याचिकाओं पर आज सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को सरकार से 3 हफ्ते में मांगा था जवाब

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून यानी की CAA और नागरिकता संशोधन नियम 2024 पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। देशभर में CAA लागू होने के बाद से इसे लेकर विरोध भी देखने को मिला, सुप्रीम कोर्ट में 237 याचिकाएं दाखिल की गईं। इनमें से 20 याचिकाओं में कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है।

तीन सदस्यीय बेंच सुनाएगी फैसला

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ दाखिल इन याचिकाओं पर स्वयं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। बता दें कि मामले को लेकर 19 मार्च को पिछली सुनवाई हुई थी। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने सरकार से 3 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। इस मामले में बेंच ने आगे कहा था, केंद्र सरकार 8 अप्रैल तक एफिडेविट दाखिल करें।

assam visuals against caa

CAA के खिलाफ कौन-कौन पहुंचा SC ?

सुप्रीम कोर्ट में CAA के खिलाफ करीब 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम कांग्रेस के नेता देवब्रत सैकिया और असम की संस्था AJYCP की तरफ से दाखिल की गई याचिकाएं शामिल हैं।

CAA को लेकर क्या है आपत्ति?

  • कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। तर्क दिया गया है कि, यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ‘समानता के अधिकार’ का उल्लंघन करता है।
  • इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में सीएए लागू करने की अधिसूचना पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की है।
  • याचिका में कहा गया है कि, साढ़े चार साल तक इसे लागू नहीं किया गया, लेकिन अब इसे अधिसूचित करना इस पर सवाल उठाता है। साथ ही इसमें कहा गया है कि सीएए में धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के प्रविधानों का उल्लंघन करता है।
  • ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में कहा है कि, सीएए लागू करने के पीछे सरकार का असली मकसद एनआरसी के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है, जिसे 2019 में अपडेट किया गया था।

क्या है CAA ?

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत सरकार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीडऩ का शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून से मुस्लिम वर्ग को बाहर रखा गया है। इसी वजह से इस कानून का विरोध हो रहा है।

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