
भोपाल, जबलपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को मुंबई में संत रोहिदास जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई, जो कि गलत है। इस पर प्रदेश के कुछ ब्राह्मण संगठनों ने विरोध जताया है। प्रगतिशील ब्राह्मण संस्था के तमाम पदाधिकारियों ने इस पर सोशल मीडिया मैसेज जारी कर कहा- मैं ब्राह्मण होने के नाते इस बात का विरोध करता हूं। राजनीति में अगर वोट चाहिए तो इसका मतलब यह नहीं कि किसी को बड़ा दिखाने के चक्कर में दूसरे को नीचा दिखाया जाए।
जबलपुर में भागवत मुर्दाबाद के नारे
उधर, जबलपुर में ब्राह्मण एकता मंच ने आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ प्रदर्शन किया। मालवीय चौक पर आज शाम को भागवत के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की। ब्राह्मण एकता मंच के पदाधिकारी हाथों में बैनर और पोस्टर लिए थे। इनमें मोहन भागवत मुर्दाबाद के नारे लिखे थे। ब्राह्मणों ने मोहन भागवत मुर्दाबाद के नारे लगाए। इन प्रदर्शनकारियों को मालवीय चौक से कलेक्ट्रेट तक जाना था, लेकिन बाद में इन्होंने मालवीय चौक पर ही प्रदर्शन समाप्त कर दिया।
#जबलपुर : #ब्राह्मण_एकता_मंच ने #RSS प्रमुख #मोहन_भागवत के खिलाफ प्रदर्शन किया। मालवीय चौक पर जबरदस्त नारेबाजी। भागवत के #ब्राह्मण विरोधी आपत्तिजनक बयान को लेकर हुआ प्रदर्शन।#PeoplesUpdate #MohanBhagwat @RSSorg pic.twitter.com/YQoylMRpzR
— Peoples Samachar (@psamachar1) February 8, 2023
ब्राह्मण खुद को गुलाम मान चुके
इधर, भोपाल में ब्राह्मण संगठनों ने कहा- खेल, राजनीति, व्यापार, समाज, विश्व, संगीत, शिक्षा, सुरक्षा, विज्ञान किसी भी जगह देखा जाए तो ब्राह्मण ही शीर्ष पर होंगे। दुर्भाग्य यह है कि ब्राह्मण खुद को गुलाम मान चुका है। भगवा के पीछे चलने के अलावा उसके पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं बचा। यह समय-समय की राजनीति है या फिर यूं कहें कि समय की अनुकूलता वाली राजनीति का समर्थन करते-करते ब्राह्मण एक दिन अपने सबसे निचले स्तर को भी देखेगा। जिस पार्टी का हम सिर्फ भगवा और अखंड भारत के उद्देश्य के लिए समर्थन करते हैं, अगर उस पार्टी को पैदा करने वाले संगठन के प्रमुख का यह मानना है कि पंडित झूठ बोलते हैं तो यह बर्दाश्त के बाहर है।
पंडितों पर थोपा जा रहा दोष
ब्राह्मण संगठनों ने कहा कि जाति व्यवस्था समाज को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई थी और उसमें ऊंच-नीच की भावना मुगल शासन काल में आई। अंग्रेजों ने इसे और बड़ा किया। आज इसका दोष ब्राह्मण पंडितों पर थोपा जा रहा है, क्योंकि मुगल बोलकर मुस्लिम को नाराज करना नहीं चाहते, अंग्रेजों के ऊपर उंगली उठाकर ईसाइयों को नहीं खोना चाहते। इनकी जनसंख्या और वोट पंडितों से ज्यादा है।