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साउथ वेस्टर्न रिंग रोड से नदियां, उनके कैचमेंट और बाघों का इलाका खतरे में

विकास के नाम पर पर्यावरण की बर्बादी

संतोष चौधरी, भोपाल। मंडीदीप के इटाया कलां से फंदाकलां जोड़ तक प्रस्तावित वेस्टर्न फोर लेन के दायरे में बाघ भ्रमण क्षेत्र, जंगल, उलझावन और कोलांस नदी तथा कैचमेंट का एक बड़ा हिस्सा भी आ रहा है। वन एवं वन्य प्राणियों और जंगल की चिंता करने वाले पर्यावरणविद् इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि भोपाल का पश्चिमी क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से समृद्ध है। कोलार, केरवा, कलियासोत डैम, बड़ा तालाब आदि जल स्रोत मुख्य रूप से इसी पश्चिमी क्षेत्र में हैं। वेस्टर्न फोर लेन बनने से भोपाल की हरियाली, वानिकी, वन्य जीवन, पर्यावरण और जल स्रोत पर बुरा असर पड़ेगा। इधर, जिस क्षेत्र से यह रोड निकल रही है, उसके आसपास की जमीन के भाव आसमान छूने लगे हैं।

यहां फॉर्म की बिक्री, प्लॉटिंग होने के साथ ही बाघ भ्रमण क्षेत्र में ढाबे खुलने शुरू हो गए हैं। हालांकि मप्र सड़क विकास निगम का दावा है कि बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों के लिए अंडरब्रिज जैसे विकल्प भी रहेंगे। फॉरेस्ट के क्लीयरेंस की प्रक्रिया जारी है। वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि फोरलेन के दायरे में आ रहा कालापानी, रातापानी सेंक्चुरी के इको सेंसटिव जोन और बोरदा का बहुत बड़ा हिस्सा आरक्षित वन में है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एचएस पावला और वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर इस सेंक्चुरी को टाइगर रिजर्व में तब्दील करने का मामला उठा चुके हैं। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में भी यह मामला विचाराधीन है।

गाइडलाइन के अनुसार किया जा रहा काम

मप्र सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) के एक अधिकारी का दावा है कि फॉरेस्ट की क्लीयरेंस की प्रक्रिया जारी है। वन विभाग ने जो गाइड लाइन बताई है, उसके हिसाब से वन्य प्राणियों को इधर से उधर जाने के लिए अंडर पास और सड़क के दोनों तरफ 10 से 12 फीट ऊंची फेंसिंग बनाई जाएगी। 2 मेगा जंक्शन, 30 माइनर जंक्शन, 2 बडे और 30 छोटे ब्रिज, रेल ओवर ब्रिज, 62 बॉक्स कल्वर्ट, 12 अंडर पास, 2 फ्लाई ओवर, 65 किमी सर्विस रोड और 6.1 किमी वर्टिकल वॉल, पानी निकास के लिए छोटी- बड़ी पुलियां बनाई जाएंगी।

सरकार तलाशे अन्य विकल्प

साउथ वेस्टर्न रिंग रोड के निर्माण से बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों का प्राकृतिक रहवास उजड़ेगा, जो अस्वीकार है। सरकार ने इस प्रोजेक्ट में वन्य प्राणियों के सुरक्षित आवागमन के लिए अभी तक कोई योजना सार्वजनिक नहीं की अत: सरकार अन्य विकल्प तलाशे। – अजय दुबे, एक्टिविस्ट

विकास के साथ विनाश तो दिखता ही है। विनाश को कम इस तरह किया जाना चाहिए, जिससे वन, वन्य प्राणी और वॉटर बॉडीज प्रभावित न हों। इसके लिए वन्य प्राणियों के मूवमेंट के लिए अंडरपासेस, एलीवेटेड रोड आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए। – प्रभाश जेटली, फॉरेस्ट एंड वेटलैंड एक्सपर्ट

यह क्षेत्र टुकड़ों ( फ्रेग्मेंट) में बंट जाएगा। इससे वन्य प्राणी प्रभावित होंगे। वाइल्ड लाइफ एक्ट में इसके लिए नियम है। वन्य प्राणियों के लिए अंडरपास सहित अन्य विकल्प बनाना चाहिए। फेंसिंग की जाना चाहिए, ताकि वन्य प्राणी तो प्रभावित न हों। माना दोनों बन भी जाते हैं, तो फोरलेन के ट्रैफिक से वन्य प्राणियों की रुटीन लाइफ तो प्रभावित होगी ही। इस फोर लेन को ऐसे क्षेत्र से निकालना चाहिए, जहां से वन्य प्राणी प्रभावित न हों। – सुदेश वाघमारे, एक्सपर्ट, वन एवं वन्य प्राणी

विकास के नाम पर वन और बाघ प्रभावित क्षेत्रों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। फॉरेस्ट के क्लीयरेंस के लिए फोर लेन मार्ग को लेकर बैठकें और निरीक्षण जारी है। हमने मौखिक रूप से उन्हें बता दिया कि हमारे क्षेत्र में किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इस सड़क प्रोजेक्ट के संबंध में कागजी कार्रवाई जारी है और फिलहाल फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं दिया गया है। – डॉ. आलोक पाठक, डीएफओ भोपाल

समसपुरा, समसगढ़ टाइगर मूवमेंट वाला इलाका है। वहीं भानपुर केकड़िया में बहुतायत में भालू हैं। अन्य क्षेत्रों में हिरण और अन्य शाकाहारी जानवर खुले में दिख जाते हैं। समसगढ़ में ऐतिहासिक महत्व की 52 बावड़ियां भी आ रही हैं। इस फोर लेन के गुजरने से वन,वन्य प्राणी और ऐतिहासिक बावड़ियां भी प्रभावित होंगी। लेन बनने से पहले ही बाघ प्रभावित क्षेत्र में तो ढाबे खुलने शुरू हो गए हैं, जो इकॉलोजी के लिए ठीक नहीं है। – राशिद नूर, एनजीटी याचिकाकर्ता

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