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Miss You ‘भारत रतन’ : देश के लिए रतन टाटा ने किए ये बड़े काम, जो हमेशा रहेंगे याद

मुंबई। दिग्गज उद्योगपति और टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। वे सोमवार को हेल्थ चेकअप के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे, बाद में उन्होंने ही आईसीयू में भर्ती होने के दावों का खंडन कर दिया था। हालांकि, बुधवार को उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका निधन हो गया।

कुछ बड़े काम, जो हमेशा रहेंगे याद

  • कोविड काल में मदद के लिए आगे आए

जिस समय पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा था, उस समय भारत भी हेल्थ संकटों से लड़ रहा था। इस संकट के समय में  रतन टाटा सामने आए और उन्होंने 500 करोड़ रुपए की देश को सहायता दी।

  • कुत्तों के लिए बनवाया अस्पताल

रतन टाटा को कुत्तों से बहुत लगाव था। उन्होंने नवी मुंबई में 165 करोड़ रुपए की लागत से कुत्तों के लिए एक हॉस्पिटल खोला। इस पांच मंजिला हॉस्पिटल में 200 पालतू जानवरों का एक साथ इलाज किया जा सकता है।

  • देश में TCS जैसी बड़ी आईटी कंपनी

दुनिया की सबसे बड़ी आईटी और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेवा देने वाली कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की स्थापना। जिसने तकनीक के क्षेत्र में अहम योगदान के साथ बड़े पैमाने पर रोजगार का भी सृजन किया है।

चर्चित किस्से

कार कंपनी फोर्ड को सबक

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने 1998 में पहली पूर्णत: भारतीय कार ‘टाटा इंडिका’ लॉन्च की, पर यह कार मार्केट में चल नहीं सकी। मैनेजर्स ने कंपनी को बेचने का सुझाव दिया। रतन टाटा की फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड के साथ मीटिंग रखी गयी। मीटिंग में बिल फोर्ड ने कहा कि अगर आपको कार बनानी आती नहीं थी, तो इतने पैसे क्यों इन्वेस्ट किए। उसने कहा कि हम आपकी कंपनी खरीद कर आप पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं। तब रतन डील छोड़ कर चले गए। उन्होंने इंडिका का नया वर्जन ‘इंडिका वी2’ लॉन्च किया, जोकि काफी पसंद किया गया। 2008 में फोर्ड की लग्जरी कार जगुआर और लैंड रोवर फ्लाप हो गर्इं। दिवालिया फोर्ड कंपनी को रतन टाटा ने खरीदने का प्रस्ताव रखा और 2.3 बिलियन डॉलर में जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया।

विश्व की सबसे सस्ती कार ‘नैनो’ बनाई

एक बार रतन टाटा ने बारिश में भीगते हुए दंपति की बात सुनी। वे कह रहे थे कि अगर एक-डेढ़ लाख में कार मिलती, तो हम भी खरीद लेते। इससे रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाने की सोची। उनका यह सपना सन 2008 में पूरा हुआ, जब उन्होंने नई दिल्ली के ऑटो एक्सपो में ‘नैनो’ कार का उद्घाटन किया।

विश्व की सबसे सस्ती कार ‘नैनो’ बनाई

सादगी, सरलता और परोपकार के लिए प्रसिद्ध

रतन टाटा अपनी सादगी और सरल स्वभाव और समूह की परोपकारी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध रहे। उदारीकरण के दौर में टाटा समूह आज जिन ऊंचाइयों पर है, उसे यहां तक पहुंचाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

टाटा छात्रवृत्ति कोष बनाया

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कॉर्नेल विवि में 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया। 2010 में समूह ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में एक कार्यकारी केंद्र बनाने के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया।

1981 में बने टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन

रतन टाटा को 1971 में नेल्को का डायरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया। 1974 में वह टाटा संस के बोर्ड में बतौर निदेशक शामिल हुए। 1981 में वह टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने। 1983 में उन्होंने टाटा की रणनीतिक योजना का मसौदा तैयार किया। 1986 से 1989 तक टाटा ने एयर इंडिया के चेयरमैन के रूप में काम किया। 25 मार्च 1991 को उन्होंने जेआरडी टाटा से टाटा संस के चेयरमैन और टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन का पदभार संभाला। 1991 में उन्होंने टाटा समूह का पुनर्गठन शुरू किया। दिसंबर 2012 में उन्होंने 50 साल बाद टाटा संस के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया।

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