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Indian Newspaper Day 2024 : आज ही के दिन देश का पहला अखबार ‘बंगाल गजट’ हुआ था शुरू, हिला दी थी अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें; लेकिन क्यों 2 साल में हो गया बंद…

नई दिल्ली। अखबार का नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में देश-दुनिया की खबरें और जानकारी का एक पत्र नजर आता है। अखबार के बिना कई लोगों के दिन की शुरुआत आज भी नहीं होती है। वैसे तो कई टेक्नोलॉजी आ गई हैं इसके बावजूद भी अखबार आज भी 5th जनरेशन नेटर्वक में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में आपके मन में भी कभी सवाल उठा होगा की भारत में सबसे पहला अखबार किसने शुरू किया। आपको यह जानकर हैरानी होगी क्योंकि भारत का पहला अखबार एक ब्रिटिश व्यक्ति जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने प्रकाशित किया था। जिसका नाम था बंगाल गजट, जो एक अंग्रेजी भाषा का अखबार था। भारत के पहले अखबार ने ही अंग्रेजी हुकूमत की नाक में दम कर दिया था, जिसके बाद इसे बंद करने के लिए भारी जुर्माना भी लगाया गया। आइए जानते हैं आज के दिन के इतिहास में भारत के पहले अखबार की कहानी।

पहले अखबार की कीमत 1 रुपए, 400 से ज्यादा सर्कुलेशन

हिक्की का बंगाल गजट एशिया और भारत से पब्लिश होने वाला पहला अंग्रेजी अखबार था। आज ही के दिन 29 जनवरी 1779 को कलकत्ता से इसका पब्लिकेशन शुरू किया गया था। इसके एडिटर, पब्लिशर और ओनर जेम्स ऑगस्टस हिक्की ही थे। इस अखबार की भाषा ब्रिटिश इंग्लिश थी। भारत में अखबार को प्रकाशित करने के कॉन्सेप्ट को डच एडवेंचरर विलियम बोल्टस लेकर आए थे, लेकिन हिक्की इस कॉन्सेप्ट को अमल में लाने वाले पहले शख्स थे। ये हर शनिवार को पब्लिश होने वाला वीकली एडिशन अखबार था। इसकी कीमत 1 रुपए थी और अखबार का सर्कुलेशन 400 से ज्यादा था।

क्या था अखबार का स्लोगन ?

शुरुआत में हिक्की ने इस अखबार की पॉलिसी न्यूट्रल रखी। न्यूजपेपर का स्लोगन था- सभी पार्टियों के लिए ओपन है, लेकिन किसी से प्रभावित नहीं है। (Open to all Parties, But Influenced by none.)।

अखबार के थे कई नाम

इस अखबार का नाम वैसे तो ‘बंगाल गजट’ ही था, लेकिन इसे हिक्की ने शुरू किया था इसलिए इसे हिक्की गजट के नाम से भी जाना जाता था। इसके साथ ही इस अखबार में खबरों से ज्यादा विज्ञापन आते थे, जिसकी वजह से इसे ‘द कलकत्ता जनरल ऐडवरटाइजर’ के नाम से भी लोग जानने लगे थे।

अखबार के बारे में जानें

यह अखबार केवल दो पेज को होता था। इस अखबार को लिखने वाले, छापने वाले एक ही इंसान थे वे थे हिक्की। अखबार में जो विज्ञापन आते थे वे ज्यादातर जानकारी के लिए आते थे। जैसे किसी की गुमशुदगी की खबर, कहीं किसी कार्यक्रम की जानकारी। उस समय अखबार का मक्सद पैसे कमाना नहीं था। बल्कि लोगों को ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में जानकारी देना था।

अखबार ने ईस्ट इंडिया कंपनी की बताई सच्चाई

ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस अखबार को एक चुनौती के तौर पर लिया और इंडियन गजट नाम से नया अखबार निकाला। इसके बाद हिक्की ने भी अपने अखबार की पॉलिसी बदल दी। अखबार ने अंग्रेजी हुकूमत के अफसरों के भ्रष्टाचार घूसखोरी और मानवाधिकार उल्लंघनों को छापना शुरू कर दिया था। बंगाल गजट अपनी पत्रकारिता और अपने काम की वजह से अंग्रेज सरकार की आंखों में चुभने लगा था। इसके साथ ही अखबार में एक बार गवर्नर की पत्नी के दुराचरण के बारे में छापा तो ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों को यह बात रास नहीं आई।

हिक्की के बंगाल गजट पर लगा बैन

गवर्नर की पत्नी के बारे में लिखना हिक्की को महंगा पड़ गया। अंतत: उसे चार महीने के लिए जेल भेजा गया और 500 रुपए का जुर्माना लगा दिया। दूसरी बार अखबार में गवर्नर के भ्रष्टाचार की आलोचना की, तो हिक्की पर 5000 रुपए का जुर्माना लगा। एक साल के लिए फिर से हिक्की को जेल की सैर करनी पड़ी। हिक्की जेल में रहते हुए 9 महीने तक अखबार को निकालते रहे।

2 साल में बंद हो गया अखबार

कुछ दिनों बाद अखबार का प्रिंटिंग प्रेस सील हो गया और 30 मार्च 1782 को बंगाल गजट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया। कुछ हफ्ते बाद प्रिंटिंग प्रेस और पूरे पब्लिकेशन की नीलामी कर दी गई और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के अखबार इंडियन गजट ने खरीद लिया।

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