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भोपाल में बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन तेज, संविदा नियमितीकरण समेत 9 सूत्रीय मांगों को लेकर नाराजगी

भोपालराजधानी भोपाल के नीलम पार्क में प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों ने एकजुट होकर जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह विरोध प्रदर्शन यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाई एंड इंजीनियर्स के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों ने अपनी नियमितीकरण समेत 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। फोरम का कहना है कि यदि अक्टूबर तक मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।

नए स्ट्रक्चर में समायोजन की मांग

फोरम के अध्यक्ष वी.के.एस. परिहार ने प्रदर्शन स्थल से सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बिजली विभाग में हाल ही में सरकार द्वारा स्वीकृत नए संगठनात्मक ढांचे में 50 हजार नई भर्तियों को मंजूरी दी गई है। हमारी मांग है कि पहले से काम कर रहे 5,000 संविदा कर्मियों को इन्हीं पदों में समायोजित किया जाए। ये कर्मचारी चयन प्रक्रिया के माध्यम से आए हैं और वर्षों से सेवा दे रहे हैं।

आउटसोर्स कर्मचारियों को 50% आरक्षण देने की मांग

फोरम की ओर से यह भी मांग की गई है कि विभाग में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को नई भर्तियों में 50% आरक्षण दिया जाए। साथ ही उन्होंने बिजली विभाग में स्थानांतरण नीति बनाने की भी मांग की, जिससे कर्मचारियों को पारदर्शी और सुव्यवस्थित प्रणाली का लाभ मिल सके।

लंबे समय से प्रतीक्षा में कर्मचारी

बिजली विभाग में कार्यरत संविदा कर्मचारियों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। प्रवक्ता के अनुसार, लगभग 5,000 संविदा कर्मचारी विभाग में कार्यरत हैं, जो लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और मेरिट के आधार पर चयनित हुए हैं। बावजूद इसके, उन्हें अब तक स्थायी नियुक्ति नहीं दी गई है, जिससे उनका भविष्य असुरक्षित बना हुआ है।

अनुभवी कर्मचारी छोड़ रहे विभाग

फोरम के पदाधिकारियों ने यह भी बताया कि पिछले कुछ महीनों में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन विभाग  के 100 से अधिक संविदा कर्मचारी नौकरी छोड़ चुके हैं। 10 से 12 वर्षों से सेवाएं दे रहे अनुभवी कर्मचारी अन्य विभागों में स्थानांतरित हो रहे हैं। यदि सरकार ने समय रहते निर्णय नहीं लिया, तो बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

ये हैं बिजली कर्मचारियों की 9 सूत्रीय मांगें:

  1. संविदा कर्मचारियों को बिना नई परीक्षा के सीधे नियमित किया जाए।
  2. बिजली कंपनियों में गृह जिला ट्रांसफर और कंपनी-टू-कंपनी ट्रांसफर की नीति बनाई जाए।
  3. संविदा नीति 2023 में महंगाई भत्ता (DA) और वार्षिक वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) को जोड़ा जाए।
  4. कार्यालय सहायक एवं राजस्व सहायक जैसे पदों को उच्च शिक्षा के अनुरूप तकनीकी पद घोषित कर प्रथम हायर स्केल दिया जाए।
  5. मध्य क्षेत्र में परीक्षण सहायक के वेतन में हो रही विसंगतियों को समाप्त किया जाए।
  6. संविदा नीति 2023 में पूर्व चयनित कर्मचारियों को 50% आरक्षण दिया जाए।
  7. राष्ट्रीय और उत्सव अवकाश पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को दोगुना मानदेय दिया जाए।
  8. नियमित कर्मचारियों की तरह संविदा कर्मचारियों को भी 9, 18 और 35 वर्ष सेवा पूरी करने पर पदोन्नति और उच्च वेतनमान मिले।
  9. सीधी भर्ती वाले संविदा कर्मचारियों की परीक्षा अवधि समाप्त कर 70, 80 और 90 नियमावली को हटाया जाए।

अक्टूबर तक का अल्टीमेटम

यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि अक्टूबर माह तक इन मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस प्रदर्शन का उद्देश्य शासन का ध्यान संविदा कर्मचारियों की समस्याओं की ओर आकर्षित करना है।

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