ताजा खबरधर्म

Pitru Paksha Explained : श्राद्ध करने से क्यों खुश होते हैं पितृ… क्या है तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान, सुनिए पितृपक्ष की कहानी

श्राद्ध करने से क्यों खुश होते हैं पितृ, क्या है तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान, पितृपक्ष के दौरान बाल और दाढ़ी ट्रिम करने से शरीर पर क्या वाकई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पीपुल्स अपडेट में सुनिए पितृपक्ष की पूरी कहानी…

पूर्वजों को समर्पित रहते हैं ये 15 दिन

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा से अमावस्या तक की अवधि पितृ पक्ष कहलाती है। ये 15 दिन पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित माने जाते हैं। इस दौरान पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद किया जाता है, उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अनुष्ठान किए जाते हैं। श्राद्ध करने से पितर खुश होते हैं, उनका आशीर्वाद मिलता है, घर में सुख-समृद्धि आती है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर के कुछ अंग ऊर्जा केंद्र होते हैं। बाल और नाखून भी इन ऊर्जा केंद्रों से जुड़े हुए हैं। उनकी कमी शरीर के ऊर्जा संतुलन को बिगाड़ सकती है।

पितृ पक्ष में मन का शांत रहना जरूरी

पितृ पक्ष के दौरान शरीर में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं। इस दौरान बाल और दाढ़ी ट्रिम करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। बाल और दाढ़ी काटने से मनोबल कमजोर हो सकता है। पितृ पक्ष के दौरान मन का शांत रहना जरूरी है। पितृ पक्ष शोक का एक रूप माना जाता है। इस दौरान बाल और दाढ़ी न कटवाकर अपने पूर्वजों के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया जाता हैं। बालों और दाढ़ी को न काटना आत्मनियंत्रण का भी प्रतीक है।

पक्षियों को नहीं सताना चाहिए

मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा अपने परिवार वालों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आती है। इसलिए इस दौरान कुछ कार्य करने से बचना चाहिए वरना पितर नाराज हो सकते हैं। इस समय शाकाहारी भोजन करें और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। भरपूर दान पुण्य करना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पक्षियों के रूप में इस धरती पर आते हैं, इसलिए इन दिनों गलती से भी किसी पक्षी को नहीं सताना चाहिए। ऐसा करने से पूर्वज नाराज हो सकते हैं। इस समय किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।

पितरों से गलतियों के लिए मांगे क्षमा

पितरों के श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए कुश, अक्षत्, जौ, गाय का दूध, सफेद फूल और काले तिल का उपयोग करना चाहिए। दोपहर 12 बजे तर्पण करें। तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें, गलतियों के लिए क्षमा मांगे। पितृपक्ष के महत्व की बात करें तो कहा जाता है कि पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं पितृलोक में निवास करती हैं। पितृलोक स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना जाता है। यह क्षेत्र मृत्यु के देवता यम द्वारा शासित है, जो एक मरते हुए व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी से पितृलोक तक ले जाता है। जब पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करते हैं तो पितरों को मुक्ति मिलती है और वे स्वर्ग लोग में चले जाते हैं।

देखें वीडियो

संबंधित खबरें...

Back to top button