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बच्चों का इलाज बन रहा दंपतियों में विवाद की वजह

फैमिली कोर्ट में एक मामले में सुलह, एक में तलाक, तीन मामले अभी भी विचाराधीन

भोपाल। बच्चों की खातिर माता-पिता हर हद से गुजर जाते हैं, लेकिन फैमिली कोर्ट में पहुंचे कुछ मामले इस सोच से उलट हैं। यहां बच्चों का इलाज ही दंपति के बीच विवाद की वजह बन गया। विवाद इस कदर बढ़ा कि कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया। बीते साल कोर्ट में ऐसे पांच मामले विचाराधीन थे। इनमें से पिछले माह एक मामले में सुलह और एक मामले में दंपति के बीच तलाक का फैसला हुआ। तीन मामले विचाराधीन हैं।

तीन काउंसलिंग के बाद माना पति

शाहपुरा क्षेत्र निवासी पति-पत्नी के बीच बेटी की थैलेसीमिया की बीमारी विवाद की वजह बनी। हालांकि, लोक अदालत के दौरान प्रधान न्यायाधीश की समझाइश के बाद दंपति तीन साल से चल रहे विवाद को भुलाकर एक हुए। इस मामले में शादी के तीन साल बाद दंपति के यहां बेटी पैदा हुई थी। वह थैलेसीमिया पीड़ित थी। इसके बाद पति, परिवार से दूरी बनाने लगा और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। विवाद बढ़ने लगा तो पत्नी, बेटी को लेकर मायके आ गई और भरण-पोषण का केस लगाया। पति ने भरण-पोषण देने से इंकार करते हुए तलाक की मांग की। बीते माह लोक अदालत में इस मामले में सुलह हो गई।

जिद पर अड़ी पत्नी ने लिया तलाक

एक अन्य मामले में राजधानी के एक दंपति के बीच बेटे के जन्म के बाद तलाक हो गया। वजह- आईवीएफ तकनीक से जन्मे बच्चे की केयर में काफी पैसा खर्च हो रहा था। मामले में दंपति के बीच तलाक हो गया। दरअसल, मंत्रालय में कार्यरत पति की उम्र शादी के वक्त 46 वर्ष और पत्नी की उम्र 41 वर्ष थी। पत्नी भी शासकीय सेवा में थी। शादी के बाद पता चला कि पत्नी का मां बनना मुश्किल है। तब दंपति ने आईवीएफ तकनीक को अपनाया। पत्नी की देखभाल के लिए पति ने 2016 में वीआरएस ले लिया। 2018 के अंत में बेटे का जन्म हुआ। बच्चे का स्वास्थ्य नाजुक था। उसे हजारों रुपए के इंजेक्शन लग रहे थे। यह पूरा खर्च पति ही उठा रहा था।

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