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युवाओं में बढ़ रही डायबिटीज, 20 साल तक के मरीज आ रहे सामने

देशभर में 7.7 करोड़ मरीज डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित

हर्षित चौरसिया-जबलपुर। भारत में डायबिटीज की बीमारी अब युवाओं को तेजी से चपेट में ले रही है। डायबिटीक विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक देश में करीब 77 मिलियन(7.7 करोड़) मरीज डायबिटीज टाइप- 2 से पीड़ित है। पहले ये मरीज 40 की उम्र में डायबिटीज से पीड़ित सामने आते थे लेकिन अब 20 की उम्र वाले युवाओं में यह बीमारी देखने को मिल रही है। इनमें उन युवाओं की संख्या अधिक है जो कि डिजिटल गेजेट्स का इस्तेमाल जमकर कर रहे हैं। डायबिटीज एवं थायरायड विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. आशीष डेंगरा ने बताया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की संख्या अधिक है। 100 में 60 पुरुष है तो महिलाएं 40 अब युवाओं की संख्या बढ़ रही है। 18 से कम उम्र वाले मरीज सप्ताह में एक से दो के बीच आना शुरू हो गए है जो कि बेहद चिंतनीय है।

50 प्रतिशत को ही पता है वे डायबिटीज से है पीड़ित

चिकित्सकों के मुताबिक 50 प्रतिशत लोगों को ही पता है कि वे डायबिटीज से पीड़ित है। पहले टाइप-2 के मरीज 50 की उम्र के आते थे, लेकिन अब यह 30 की उम्र से कम के आना शुरू हो गए हैं। साथ ही करीब 60 प्रतिशत डायबिटीज के मरीजों की मृत्यु का कारण दिल की बीमारी है। ऐसे में डायबिटीक मरीजों को बेहद सावधान रहने की आवश्यकता है।

मां-पिता में से एक पीड़ित तो युवाओं में डायबिटीज का खतरा 40 प्रतिशत तक

डायबिटीज विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले दो दशकों से युवा वयस्कों, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है में मधुमेह बढ़ रहा है। युवा वयस्कों में मधुमेह के मुख्य कारण आनुवंशिकी, शारीरिक गतिविधि की कमी और मानसिक तनाव में वृद्धि है। अगर एक युवा के माता पिता में से एक को मधुमेह है तो उनके मधुमेह होने की संभावना 40 प्रतिशत है यदि माता-पिता दोनों का डायबिटीज की हिस्ट्री है तो इसके विकसित होने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

क्या है टाइप-1 व टाइप-2 डायबिटीज

चिकित्सकों ने बताया कि डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं। टाइप-1 व टाइप-2। इसमें टाइप-1 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिजीज है। इस डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा सेल्स पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं और इस तरह इंसुलिन का बनना संभव नहीं होता है। इसके परिणाम स्वरूप हाई ब्लड शुगर लेवल होता है। यह महत्वपूर्ण है कि टाइप-1 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को दैनिक इंसुलिन लेना होता है। टाइप-2 डायबिटीज लंबे समय तक इंसुलिन प्रतिरोध और अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के चलते विकसित होता है। यह कई मामलों में मोटापे और जीवनशैली से जुड़े कारकों जैसे कि निष्क्रियता से जुड़ा हुआ है। दोनों प्रकार के डायबिटीज के संकेत और लक्षण एक जैसे होते हैं। हालांकि टाइप-1 डायबिटीज की आशंका बच्चों और युवाओं में अधिक होती है।

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