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अमेरिकी कंपनी ने इतिहास रचा : 50 साल में पहली बार चांद पर उतारा पहला प्राइवेट स्पेसक्राफ्ट, ‘ओडिसियस’ ने की भारत के ‘चंद्रयान’ के पास लैंडिंग

वॉशिंगटन। एक अमेरिकी प्राइवेट कंपनी ने चंद्रमा पर पहुंचकर इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कर लिया है। अमेरिका की ह्यूस्टन बेस्ड प्राइवेट कंपनी इंट्यूटिव मशीन्स का लैंडर ओडिसियस चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड हो गया है। इसे 15 फरवरी 2024 को लॉन्च किया गया था। आधी सदी से भी अधिक समय में चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला यह पहला अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट था। इसी के साथ यह पहली बार है जब प्राइवेट सेक्टर ने चांद की सतह को छुआ। करीब 50 सालों में पहली बार कोई अमेरिकी अंतरिक्ष ने स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारा है।

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साउथ पोल को छूने वाला दूसरा देश बना अमेरिका

भारतीय समय के मुताबिक, इस स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग 4 बजकर 53 मिनट पर हुई है। इसी के साथ ओडिसियस मून लैंडिंग करने वाला किसी प्राइवेट कंपनी का पहला स्पेसक्राफ्ट बन गया है। वहीं, अमेरिका दूसरा देश बन गया है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल को छुआ। बता दें, इससे पहले भारत ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की थी। लैंडिंग से पहले ओडिसियस के नेविगेशन सिस्टम में कुछ खराबी आई थी लेकिन, इसकी सफल लैंडिंग कराई गई।

लैंडिंग के बाद नहीं हो पाया संपर्क

अमेरिकी मीडिया के अनुसार, लैंडिंग के बाद ओडिसियस की जानकारी नहीं मिली है। उससे कॉन्टेक्ट नहीं हो पा रहा है, लेकिन मिशन के डायरेक्टर टिम क्रेन ने कहा कि हम बिना किसी संदेह से यह कह सकते हैं कि ओडिसियस चांद की सतह पर मौजूद है, उसकी लैंडिंग हो चुकी है।

50 साल बाद अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट उतरा चांद पर

50 साल में पहली बार कोई अमेरिकी मिशन चांद पर सक्सेसफुल हुआ है। इससे पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसके बाद अमेरिका ने साल 2022 में आर्टिमिस-1 स्पेसक्राफ्ट को चांद पर रवाना किया था। लेकिन मिशन सफल नहीं हुआ।

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क्या है इस मिशन का मकसद

ओडिसियस मून मिशन का मकसद चांद पर मौजूद धूल की स्टडी करना है। दरअसल, अपोलो मिशन पूरा करके लौटे अंतरिक्ष यात्रियों ने बताया था कि धूल की वजह से उनके इक्विपमेंट्स खराब हो गए थे। इसलिए साइंटिस्ट जानना चाहते हैं कि स्पेसक्राफ्ट के लैंड होने से उड़ने वाली धूल कैसे हवा में रहती है और फिर चांद की सतह पर कैसे अपने आप बैठ जाती है।

इंसानों को भेजने की तैयारी

ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओडिसियस को जिस जगह पर लैंड किया गया है उसे मालापर्ट के नाम से जाना जाता है। यहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती। लेकिन साइंटिस्ट्स का मानना है कि यहां पानी मौजूद है, पर बर्फ के रूप में। यह इलाका उन जगहों की लिस्ट में है, जहां NASA इंसानों को भेजने पर विचार कर रही है।

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इस मिशन में NASA ने की मदद

वैसे तो ओडिसियस प्राइवेट मून मिशन है, लेकिन इसके पीछे अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का दिमाग है। मिशन में काम आने वाले 6 इंस्ट्रूमेंट्स NASA ने ही तैयार किए हैं। वहीं, स्पेसक्राफ्ट की स्पीड लैंडिंग से पहले बढ़ाई गई थी।

सबसे पहले भारत ने रचा था इतिहास

चांद पर खोजबीन के लिए सबसे पहले भारत ने इतिहास रचा था। भारत ने मिशन चंद्रयान को लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की थी। इसी के साथ भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बना।

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