Priyanshi Soni
25 Oct 2025
Peoples Reporter
25 Oct 2025
Priyanshi Soni
25 Oct 2025
Shivani Gupta
24 Oct 2025
प्रवीण श्रीवास्तव/भोपाल। इंदौर में 14वीं मंजिल से कूदकर जान देने वाली 14 साल की बच्ची की मौत के बाद की गई जांच में सामने आया है कि बच्ची को ऑनलाइन गेम रोब्लॉक्स खेलने का चस्का था। उसे गेम में ऊंचाई से कूदने का टास्क मिला था। यह टास्क पूरा करने के लिए बच्ची ने यह खौफनाक कदम उठाया। हालांकि, इसकी अभी पूरी तरह पुष्टि नहीं हो पाई है। ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन का बच्चों के दिमाग पर भी असर हो रहा है। गेम्स की लत से बच्चे अवसाद से ग्रस्त होने के साथ हिंसक भी हो रहे हैं। हमीदिया और जेपी अस्पताल में हर सप्ताह चार से छह बच्चे मानसिक इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. मोनिका वर्मा
बताती हैं कि ऑनलाइन गेम्स बच्चों के स्वभाव में स्थाई परिवर्तन का कारण बनते जा रहे हैं। हिंसावाले गेम्स मस्तिष्क पर ज्यादा असर डाल रहे हैं।
जेपी अस्पताल के क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. राहुल शर्मा
बताते हैं कि बच्चों का मन जिस काम में लग रहा है, उसे करने दें। रचनात्मक कार्यों में बच्चों को लगाएं। उनके साथ सुबह-शाम खेलें। इससे वे एक्यूट तनाव का शिकार नहीं होंगे।
पहले भी आ चुके हैं खतरनाक गेम्स
1. ब्लू व्हेल : इसमें बच्चों को खुद को मारने, ऊंचाई से कूदने, आग लगाने और सुसाइड जैसे टास्क दिए जाते थे। 2017 में देश में 100 से अधिक बच्चों की जान इस गेम से गई।
2. पबजी गेम : इसमें अत्यधिक मारधाड़ थी, बच्चों की प्रवृत्ति हिंसक हो रही थी। इसने कई जानें लीं।
3. पास आउट चैलेंज : बच्चे ग्रुप बनाकर खेलते और एक-दूसरे का गला घोंटते थे।
4. सॉल्ट एंड आइस चैलेज : इसमें टास्क दिया जाता है कि बच्चे शरीर के किसी हिस्से पर नमक रखें और उसके ऊपर से बर्फ रखें। नमक के कारण बर्फ तेजी से पिघल जाता है और वह जगह जल जाती है।
गेमिंग का एडिक्शन होना अपने आप में यह बताता है कि बच्चा वास्तविक दुनिया से दूर है। गेमिंग के रूल्स कई बार बच्चों में नकारात्मक भावों को उकसाते हैं। पैरेंट्स आमतौर पर मोबाइल गेमिंग को गैर जरूरी विषय समझते हैं, इस कारण बच्चों को सही सलाह नहीं मिल पाती। - डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक