अशोक गौतम-भोपाल। प्रदेश के एक्सप्रेस-वे और हाईवे के किनारे इंडस्ट्रियल रीजन तैयार किए जाएंगे। प्रारंभिक चरण में दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर के साथ पांच एक्सप्रेस-वे और हाईवे का चयन किया गया है। इनके आसपास करीब 24 हजार एकड़ शासकीय भूमि चिह्नित की गई है। वहीं किसानों और निवेशकों के साथ पीपीपी मॉडल पर औद्योगिक क्षेत्र तैयार करने के लिए भी काम होगा।
प्रदेश से होकर और प्रदेश की सीमा के आसपास से गुजरने वाले एक्सप्रेस-वे के पास 1,500 एकड़ से 4,000 एकड़ तक के औद्योगिक क्लस्टर बनाए जाएंगे। इनमें सड़क, बिजली, पानी, सीवेज लाइन, ट्रांसपोर्ट, एयरपोर्ट और रेलवे लाइन से सीधे कनेक्टिविटी की सुविधा के साथ टाउनशिप भी तैयार की जाएंगी। यहां से गुजरने वाले जिला मार्गों और पीएम ग्रामीण सड़कों को भी टू और फोर लेन किया जाएगा। हर एरिया के लिए एक अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वह उद्योगों का सहयोग करे। बड़े उद्योगों की मॉनिटरिंग पीएस, सचिव तथा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोेरेशन के एमडी करेंगे।
प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक इंडस्ट्रियल एरिया में उद्योगपति रुचि नहीं ले रहे हैं। उद्योगों को रिझाने के लिए सरकार विशेष पैकेज दे रही है, जिसमें वे एकमुश्त राशि की जगह 18 किस्तों में भूखंड की राशि जमा कर सकेंगे। ऐसे क्षेत्रों में उज्जैन का ताजपुर, विदिशा का जंबारबागरी, इटारसी का कीरतपुर, जबलपुर का मनेरी शामिल हैं।
एक्सप्रेस-वे, नेशनल हाईवे और कुछ स्टेट हाईवे के पास इंडस्ट्रियल रीजन जोन तैयार करने के लिए जगह चिह्नित की गई है। इन क्षेत्रों में उद्योगों के लिए तमाम मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। - चंद्रमौली शुक्ला, एमडी, मप्र स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन